India Today ने ‘सेक्युलर अपराध’ पर डालना चाहा पर्दा, मुस्लिम लड़की से प्यार करने के चलते हुई थी राहुल की मॉब लिंचिंग

राहुल राजपूत को दिल्ली में एक मुस्लिम भीड़ ने बेरहमी से मार डाला

दिल्ली विश्वविद्यालय के 18 वर्षीय छात्र राहुल राजपूत की मुस्लिम लड़की के साथ प्रेम प्रसंग होने की वजह से मोहम्मद अफरोज और मोहम्मद राज ने अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर उस पर बर्बरतापूर्वक हमला किया। राहुल घायल अवस्था में ही अस्पताल पहुँचा जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। हमलावरों में शामिल अफरोज को अपनी 16 साल की नाबालिग बहन के एक हिन्दू युवक राहुल के साथ प्रेम प्रसंग से आपत्ति थी। इसलिए उसने राहुल को सबक सिखाने की ठानी।

राहुल प्राइवेट माध्यम से जर्नलिज्म द्वितीय वर्ष की पढ़ाई करने के साथ-साथ बच्चों को अंग्रेजी का ट्यूशन भी देता था। मोहम्मद अफ़रोज़ और उसके साथियों द्वारा राहुल को पीटने का वीडियो CCTV में सामने आया है। उन्होंने पूरी तैयारी के साथ राहुल के चचेरे भाई के फोन पर कहा कि उन्हें अपने बच्चे को ट्यूशन दिलाना है, इसलिए राहुल को बाहर भेज दें।

फोन सुनकर राहुल बिना किसी को बताए बाहर गली में आ गया। घर के बाहर मौजूद 4-5 लोग उसे अपने साथ ले गए और गली नंदा रोड पर लात- घूंसों से उसको मारना शुरू कर दिया। CCTV में देखा गया कि मारपीट के बाद घायल हालत में ही राहुल किसी तरह से अपने घर पहुँचा। फिर उन्हें पास के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहाँ इलाज के दौरान राहुल ने दम तोड़ दिया। 18 वर्षीय राहुल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अंदरूनी चोटों को मौत का कारण बताया गया।

कई मेनस्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को चलाने की जहमत ही नहीं उठाई और जिन्होंने ये खबर चलाई, उन्होंने भी इस खबर को चलाने में ईमानदारी नहीं दिखाई। उन्होंने इसमें से कई बातों को बड़ी ही चालाकी से छुपा लिया। इनमें से एक मीडिया ग्रुप इंडिया टुडे भी था, जो कि फिलहाल टीआरपी घोटाले में फँसा हुआ है। 

हाल ही में इंडिया टुडे ने एक बयान जारी करते हुए स्वीकार किया कि उस पर ‘ब्रॉडकास्टर ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC)’ द्वारा जुर्माना लगाया गया था। इससे पहले रिपब्लिक टीवी के पत्रकार व एक मुख्य गवाह के बीच बातचीत में भी यह खुलासा हुआ था कि उस गवाह के बेटे को इंडिया टुडे देखने को कहा गया था ताकि अवैध रूप से इंडिया टुडे की TRP बढ़ सके

इंडिया टुडे ने छुपाई आरोपितों की पहचान

इंडिया टुडे ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा गया कि एक 18 वर्षीय लड़के को एक ‘महिला’ के साथ उसकी ‘दोस्ती’ के लिए पीटा गया था। मीडिया हाउस ने युगल के बीच प्रेम संबंध को ‘मित्रता’ के रूप में दर्शाया। हालाँकि यह रिपोर्ट एकमात्र उदाहरण नहीं है जहाँ इंडिया टुडे ने एक मुस्लिम लड़की के प्यार में एक हिंदू लड़के की भीषण हत्या को छुपाने का प्रयास किया।

India Today report describes inter-faith relationship as “friendship”

इंडिया टुडे ने अपनी पूरी रिपोर्ट में घटना के विवरणों का विस्तार से वर्णन किया है, दोषियों के खिलाफ लगाए गए आरोप, तनाव कम करने के लिए पड़ोस में पुलिस बल की तैनाती, मृतक के चाचा की गवाही, कारण पीड़ित की मौत, घटना पर पुलिस का बयान आदि।

हालाँकि इन सबके बीच इंडिया टुडे की रिपोर्ट से एक चीज गायब थी-  हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की के बीच अंतरधार्मिक प्रेम संबंध का जिक्र। चैनल ने बड़े ही शातिर तरीके से किसी तरह के प्रेम संबंध का उल्लेख न करते हुए इसे दोस्ती करार दिया, ताकि ‘अंतरधार्मिक प्रेम संबंध’ का विवरण देने से आसानी बचा जा सके।

इसके अतिरिक्त, इंडिया टुडे ने जघन्य अपराध करने वाले आरोपितों की पहचान भी उजागर नहीं की। हालाँकि गिरफ्तार किए गए लोगों में से 3 नाबालिग हैं और उनकी पहचान भारतीय कानूनों के अनुसार नहीं बताई जा सकती है, लेकिन चैनल ने इस मामले में गिरफ्तार बाकी दो अभियुक्तों का भी उल्लेख नहीं किया। मोहम्मद अफ़रोज़ और मोहम्मद राज 5 में से दो लोग थे जिन्होंने राजपूत को नंदा रोड पर लिंचिंग की, लेकिन इंडिया टुडे ने उनकी पहचान का उल्लेख करने से परहेज किया।

इंडिया टुडे ने अंकित सक्सेना हत्या मामले में भी छिपाया धर्म

फरवरी 2018 में अंकित सक्सेना को उसकी प्रेमिका शहज़ादी के परिवार वालों ने सिर्फ़ इसीलिए मार डाला क्योंकि वो दोनों के रिश्ते से नाराज़ थे। शहज़ादी की माँ ने अपनी स्कूटी से धक्का देकर अंकित को गिराया और फिर शहज़ादी के पिता ने चाक़ू से उनके गले को रेत डाला। तब भी इंडिया टुडे की रिपोर्ट में हत्या पर पर्दा डालने की कोशिश की थी।

India Today report on Ankit Saxena’s gruesome murder

ऐसा अक्सर देखा गया है कि जब एक भीषण कृत्य का शिकार बहुसंख्यक समुदाय से होता है और अपराधी अल्पसंख्यक समुदाय से होता है तो इंडिया टुडे जैसे ही मीडिया गिरोह धार्मिक एंगल को दबाने का हरसंभव प्रयास करती है और इसे ‘दोस्ती’ का नाम देती है। हालाँकि जब पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय से होता है और हमला करने वाला बहुसंख्यक समुदाय से, तो माहौल इसके विपरीत होता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया