दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर विरोध कर रहे ‘प्रदर्शनकारियों’ ने शुक्रवार (जनवरी 24, 2019) को न्यूज नेशन के वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया के साथ बदसलूकी की। उनके साथ धक्का-मुक्की की। इसी भीड़ को अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते भी सुना गया। 15 दिसंबर 2019 से शाहीन बाग में विरोध प्र्दर्शन चल रहा है और प्रदर्शन कर रहे गुंडों द्वारा इससे पहले भी कई पत्रकारों के साथ बदसलूकी की गई है।
मगर जब एनडीटीवी के जाने-माने और ‘निष्पक्ष’ पत्रकार रवीश कुमार वहाँ पर जाते हैं तो वहाँ की स्थिति कुछ और ही होती है। वो वहाँ पर जाते हैं और स्टेज पर जाकर आराम से भाषण देते हैं। वो भाषण देते हुए कहते हैं, “मैं भी देखना चाहता था कि कितनी देर तक और कितने दिनों तक शाहीन बाग की औरतें अपने प्रदर्शन में, अपने धरने में आती हैं। एक दिन नारा लगाने से शरीर थक जाता है। जब आप 22 वें दिन भी प्रदर्शन करने के लिए आती हैं तो इसका मतलब है कि इसका इरादा कुछ और है, जिसे लोग समझ नहीं पा रहे हैं।”
मगर हैरानी की बात है कि जब वहाँ पर दीपक चौरसिया पहुँचे और उन्होंने प्रदर्शनकारियों के दर्द को समझने की कोशिश की तो उनके साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया गया। वो प्रदर्शनकारियों से CAA और NRC के बारे में जानना चाहते थे और ये भी जानना चाहते थे कि उनका मुद्दा क्या है? वो विरोध प्रदर्शन क्यों कर रही हैं? मगर इसी बीच उनके साथ बदतमीजी की गई और साथ ही न्यूज नेशन के कैमरामैन का कैमरा तोड़ दिया।
दीपक चौरसिया ने वीडियो के जरिए बताया कि शाहीन बाग में प्रदर्शन के नाम पर कुछ असामाजिक तत्व हिंसा फैला रहे हैं। उन्होंने इस बाबत ट्वीट करते हुए लिखा,
NDTV की एक्जीक्यूटिव एडिटर निधि राजदान ने भी दीपक चौरसिया के साथ हुए वाकये को दुखद बताते हुए ‘सहानुभूति’ जताई थी लेकिन साथ में प्रदर्शकारियों को सच्चा बता कर अपने लिखे ‘सहानुभूति’ पर खुद ही प्रश्नचिह्न भी लगा दिया। अब रवीश कुमार के वहाँ पहुँचने वाले वीडियो पर निशाना साधते हुए एक यूजर ने निधि राजदान से पूछा है कि मैम शाहीन बाग के सच्चे प्रदर्शनकारियों ने रवीश कुमार के ऊपर हमला क्यों नहीं किया?
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