हाँ हमने झूठ बोला, मोदी की योजनाओं की सफलता की अनदेखी की: गुप्ता जी का छलका दर्द

शेखर गुप्ता

मोदी सरकार की ऐतिहासिक जीत से पहले देश में मौजूद समुदाय विशेष के पत्रकार अपने लेखों के जरिए इस बात को साबित करने में जुटे थे कि मोदी सरकार की हर नीति, योजना और प्रयास आम लोगों के ख़िलाफ़ है। लेकिन, जब प्रचंड बहुमत के साथ मोदी सरकार सत्ता में वापस लौट आई है तो ‘द प्रिंट’ नामक पोर्टल के मालिक और एडिटर्स गिल्ड के चीफ़ शेखर गुप्ता ने एक चर्चा ‘How India Voted’ में स्वीकारा है कि चुनाव से पहले पत्रकारों ने मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की सफलता को नजरअंदाज किया था।

शेखर गुप्ता ने कहा, “मुझे ये बात बहुत इमानदारी से कहनी है कि हम पत्रकारों ने मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की अनदेखी करने का सोचा था और जब उनकी हकीकत (जिसमें लोगों को फायदा पहुँचा) हमारे सामने आती तो हम उसे नकारने की कोशिश करते।”

कॉन्ग्रेस की करारी हार के बारे में बात करते हुए गुप्ता जी ने ये तक कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी auto-immune disease (ऐसी बीमारी जिसके कारण पार्टी ने खुद ही को नुकसान पहुँचाया) से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के इतने दिनों में उन्होंने कभी नहीं सुना कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार के कार्यकाल में हुई किसी अच्छी चीज के बारे में बात की हो। वो हमेशा मोदी सरकार और मीडिया पर दोष देते रहे। गुप्ता जी कहते हैं कि देश में योजनाओं का झाँसा देकर हमेशा से वोट माँगा जाता रहा है इसलिए देश के मतदाता को कॉन्ग्रेस की योजनाओं पर भरोसा नहीं है।

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इस चर्चा के दौरान एडिटर गिल्ड के चीफ ने स्वीकारा कि वो खुद भी मोदी सरकार की योजनाओं के ख़िलाफ़ सबूत ढूँढ रहे थे, लेकिन उन्हें कोई प्रमाण नहीं मिला। उन्होंने योजनाओं के तहत बाँटे गए गैस सिलिंडरों को देखने के लिए घरों के भीतर तक झाँका, लेकिन वहाँ सिलेंडर मौजूद होने के कारण, जो सोचा वो मुमकिन नहीं हो पाया।

अपनी बातचीत के दौरान निराश शेखर गुप्ता मानते हैं कि सरकार द्वारा चालू की गई जन-धन योजना, आधार और मुद्रा योजना ने लोगों को फायदा पहुँचाया है, जो लिबरलों के बर्दाश्त से बाहर हो गया था। वो कहते हैं कि उन्हें पहले खुद ही लगता था कि मुद्रा लोन योजना एक बकवास और फर्जी चीज है, लेकिन अब उनके पास वो वीडियो प्रमाण के रूप में हैं जो साबित करते हैं ये सब फर्जी नहीं है। अपनी बात में वो आजमगढ़ से 50 किलोमीटर दूर एक दलित व्यक्ति का जिक्र करते हैं जो बताता है कि उसे 50,000 रुपए का मुद्रा लोन मिला है, जिससे उसने चाय की दुकान की दुकान खोली और अब 1,300 वह हर महीने रुपए वापस करता हैं। और, जब वो पैसे वापस नहीं दे पाता तो बैंक मैनेजर किसी को उसके पास भेजता है।

चुनाव से पहले तक मोदी विरोध में सुर बुलंद करने वाले द प्रिंट के मालिक का कहना है कि उन्होंने बड़े आँकड़ों को जाँचा, जिसमें स्पष्ट था कि 4.81 करोड़ लोगों को मुद्रा लोन दिया जा चुका है जिसमें से 2.1 लाख का करोड़ चुका भी दिए गए हैं। इसलिए अब वो ईमानदारी से कहते हैं कि पत्रकारों ने मोदी सरकार द्वारा चालू की गई कल्याणकारी योजनाओं की अनदेखी की, और जब उन्हें योजनाओं के कारण प्रगति दिखी तो उन्होंने उसे भी नजरअंदाज करने की कोशिश ये कहकर की “उन्हें भले ही गैस सिलिंडर मिल गया, लेकिन वो अगला सिलेंडर खरीदने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि अगला सिलेंडर पूरी कीमत पर मिलेगा” जबकि ये तर्क बिल्कुल झूठ था। अगला सिलेंडर जिन्हें पूरे कीमत पर मिला, उनकी सब्सिडी कटकर उनके बैंक में आई।

मोदी सरकार की वापसी के बारे में बात करते हुए गुप्ता जी इस बातचीत में कहते हैं कि हकीकत ये है कि इससे पहले लोगों ने कभी किसी योजना को घर के भीतर तक पहुँचते हुए नहीं देखा था, और जिन चीज़ों की डिलीवरी देखी थी, उन्हें बिना घूस दिए नहीं देखी थी। वो मानते हैं कि ये देश में एक बहुत बड़ा बदलाव आया है। जिसे हो सकता है कुछ लोग पसंद न करें लेकिन समझदार लोग इससे बहुत कुछ सीख रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया