वरिष्ठता को दरकिनार कर प्रतिभा के आधार पर एडमिरल करमबीर सिंह बने नए नौसेना प्रमुख

नौसेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करते एडमिरल करमबीर सिंह

वाइस एडमिरल करमबीर सिंह ने शुक्रवार (31 मई) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक औपचारिक सैन्य समारोह में वर्तमान नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा से भारतीय नौसेना के 24वें प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया।

वाइस एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, “मेरे पूर्ववर्तियों ने यह सुनिश्चित किया कि नौसेना के पास एक ठोस आधार है और वो नई ऊँचाइयों पर पहुँच गया है। यह मेरा प्रयास रहेगा कि हम उनके प्रयासों को जारी रखें और राष्ट्र को एक मज़बूत, विश्वसनीय नौसेना प्रदान करें और समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।”

https://twitter.com/indiannavy/status/1134317352026161153?ref_src=twsrc%5Etfw

इस महीने की शुरुआत में, रक्षा मंत्रालय ने सिंह की नियुक्ति को चुनौती देने वाली वाइस एडमिरल बिमल वर्मा की याचिका को ख़ारिज कर दिया था। 10 अप्रैल को दायर की गई अपनी याचिका में, वर्मा ने वरिष्ठता को नज़रअंदाज़ करने और अगले नौसेना प्रमुख के रूप में अपने कनिष्ठ को नियुक्त करने के सरकार के फ़ैसले पर सवाल उठाया था। रक्षा मंत्रालय ने एक आदेश में वाइस एडमिरल वर्मा की याचिका को ख़ारिज करते हुए उन्हें ‘योग्यता से रहित’ करार दिया था। मंत्रालय ने कहा था कि केंद्र चयन के मापदंडों से संतुष्ट था और एक आकलन के आधार पर वर्मा पर विचार किया गया था, लेकिन वो इस पद के लिए अनुपयुक्त पाए गए।

दरअसल, अंडमान निकोबार के फ्लैग ऑफिसर कमांडर इन चीफ वाइस एडमिरल बिमल वर्मा 5 महीने सीनियर हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने वरिष्ठता के मापदंड को नज़रअंदाज़ करके वाइस एडमिरल सिंह के हाथों में नौसेना प्रमुख की ज़िम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया, उसके पीछे वजह प्रतिभा है, जिसे अवसर देने का अधिकार सरकार के पास सैद्धांतिक तौर पर है। थल सेना प्रमुख जनरल रावत की नियुक्ति के समय भी सरकार ने यही मापदंड अपनाया था और तब विपक्ष ने इसको मुद्दा भी बनाया था।

वाइस एडमिरल सिंह की प्रतिभा की बात करें तो वे एक कुशल नौसेना अधिकारी हैं। उनके पास चेतक, कामोव-25 और कामोव-28 जैसे ऐंटी-सबमरीन युद्धक हेलीकॉप्टर उड़ाने का अनुभव प्राप्त है। अपने 39 साल के करियर में उन्होंने कई बड़ी ज़िम्मेदारियों को बख़ूबी निभाया और अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने विजयदुर्ग, INS राणा, INS दिल्ली की कमान संभालते हुए अपनी पूरी ईमानदारी से कर्तव्यों का पालन किया। इसके अलावा वे महाराष्ट्र और गुजरात में भी कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। वाइस एडमिरल सिंह की नियुक्ति दो साल के लिए की गई है। इसके तहत वे नवंबर 2021 तक नौसेना प्रमुख रहेंगे।

वाइस एडमिरल सिंह की नियुक्ति से पहले भी केंद्र सरकार ने ऐसे ठोस क़दम उठाए हैं, जिनसे यह साफ झलकता है कि महत्वपूर्ण पदों पर सिर्फ वरिष्ठता को आधार न मानते हुए प्रतिभा को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए। थल सेना प्रमुख की नियुक्ति के समय भी वरिष्ठता को एक तरफ रखते हुए जनरल प्रवीण बख्शी और पीएम हारिज की जगह सरकार ने जनरल बिपिन रावत को ज़िम्मेदारी सौंपी थी।

केंद्र सरकार ने सत्ता पर क़ाबिज़ होते ही इस तरह के फ़ैसलों को तरजीह दी थी, जिसमें वरिष्ठता के पुराने ढर्रे को त्यागकर प्रतिभा को प्राथमिकता देना शामिल था। सरकार अपने द्वारा उठाए गए इन क़दमों से देश में यह संदेश देना चाहती थी कि किसी भी पद पर क़ायम होने के लिए वरिष्ठता को आधार नहीं बनाना चाहिए बल्कि प्रतिभा की प्राथमिकता को महत्व देना चाहिए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया