3 कश्मीरी छात्रों को बेल देने से कोर्ट का इनकार, कहा- PAK के पक्ष में नारे अस्वीकार्य

तीनों कर्नाटक के हुबली के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं

कर्नाटक में हुबली की एक अदालत ने देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार तीन कश्मीरी छात्रों की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी। आरोपित छात्रों के नाम बासित आशिक सोफी (22), तालिब मजीद (20) और अमीर मोहिउद्दीन वानी (20) हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने एक विडियो में पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। इसके वायरल होने के बाद काफी हंगामा हुआ और इन पर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया।

सोमवार को मामले पर सुनवाई करते न्यायाधीश गंगाधर केएन ने कहा, ”इस देश की रक्षा और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। हमें जाँच एजेंसी को किसी भी निकाय के हस्तक्षेप के बिना अपना काम करने की अनुमति देनी चाहिए। आरोप की प्रकृति पर विचार करते हुए, जाँच पूरी होने तक, याचिकाकर्ता जमानत के लिए हकदार नहीं हैं। यहाँ तक कि उन आधारों पर भी नहीं, जो उन्होंने ज़मानत के लिए आधार नहीं बनाए हैं।”

बता दें कि तीनों केएलई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र हैं। विडियो सामने आने के बाद कई हिंदूवादी संगठनों और वकीलों ने केएलई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था। लगातार विरोध-प्रदर्शन के बाद पुलिस ने तीनों कश्मीरी छात्रों को हिरासत में लिया था। हिरासत में लेने का बाद तीनों को कोर्ट में पेश किया गया था, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि ये तीनों छात्र इससे पहले भी एक बार गिरफ्तार हो चुके थे। उस दौरान इन्होंने पाकिस्तान के समर्थन में खूब नारेबाजी की थी। इसके मद्देनजर इनके ख़़िलाफ़ कार्रवाई भी हुई थी। मगर, बाद में सीआरपीसी की धारा 169 के तहत एक बॉन्ड भरने के बाद तीनों छात्रों को रिहा कर दिया गया था। लेकिन 17 फरवरी को इन्हें इनकी हरकत के लिए फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

अब देशद्रोह मामले में आरोपितों को जमानत दिलवाने के लिए डाली गई याचिका में इस आधार पर जमानत माँगी गई थी कि वे निर्दोष हैं, उन्होंने कथित रूप से कोई अपराध नहीं किया है। वे केवल छात्र हैं और अपने छात्रावास में रह रहे हैं। वह अपनी कक्षाओं में जाते हैं और उनको अपने टर्म एग्जाम की तैयारी भी करनी है। ऐसी स्थिति में उन्हें अगर जमानत नहीं दी गई तो उन्हें गंभीर कठिनाई होगी और इससे उनकी शिक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

इसके अलावा इस बारे में उल्लेख किया गया था कि पुलिस पहले ही उन्हें धारा 169 के तहत जमानत दे चुकी है और उन्होंने पुलिस के समक्ष नियत उपस्थिति के लिए बांड भी भर दिए हैं। इतना ही नहीं उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था कि वे सत्ता या इस देश के खिलाफ किसी भी अस्वीकृति या अप्रभाव को हवा देकर किसी भी तरह के सार्वजनिक विकार को पैदा करें। याचिकाकर्ता जाँच अधिकारी के सामने, जब भी वह बुलाएँगे, पेश होने के लिए तैयार हैं।

लेकिन, यहाँ अभियोजन पक्ष ने ये कहते हुए इन अर्जियों का विरोध किया कि इन अपराधों की गंभीरता काफी संगीन हैं। जो इतनी अधिक व्यापक है कि ये इस देश की अखंडता को प्रभावित कर सकती है। याचिकाकर्ताओं को ट्रायल अदालत द्वारा दोषी पाया जाता है, तो उन्हें उम्र कैद की सजा भी हो सकती है।

जानकारी के अनुसार, तीनों छात्रों ने देश विरोधी विडियो उस समय बनाया जब कॉलेज में पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक समारोह आयोजित किया गया था। वे इस कार्यक्रम में शामिल होने के बजाय हॉस्टल में पाकिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए विडियो बना रहे थे। प्राचार्य को भी इस घटना की जानकारी तब हुई जब सोशल मीडिया पर यह विडियो वायरल हो गया।

विडियो देखने के बाद प्राचार्य ने इन्हें कॉलेज से जाँच पूरी होने तक निलंबित कर दिया था। वहीं राज्य के उद्योग मंत्री जगदीश शेट्टार ने कहा था कि सरकार किसी के द्वारा इस तरह की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगी। अब कोर्ट ने भी इस मामले पर कहा है, “

अगर शिकायत में दी जानकारी को देखा जाए तो प्रावधान को लागू करने के लिए उचित आरोप लगाए गए हैं। यदि देश के लोगों की भावनाओं को समझा जाए तो पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाना गंभीर और अस्वीकार्य है। याचिकाकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर किए गए कृत्य की प्रकृति अंतर्निहित भारतीय सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ सकती है। किसी को भी बच्चों के उस खेल पर जाने या खेलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, जो देश के निर्दोष लोगों के जीवन, स्वतंत्रता और विश्वास पर भारी पड़ सकता है। इस देश की अखंडता और सुरक्षा सभी के सामने लंबी या महत्वपूर्ण है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया