पाकिस्तान में इतने भी मजे नहीं हैं: कट्टरपंथियों को केरल हाईकोर्ट ने समझाया, कहा- भारत ने कभी मुस्लिमों को नहीं बनाया बंधक

PFI से नुकसान की भरपाई में देरी होने पर केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकारा (फोटो साभार: लाइव लॉ)

भारत के खिलाफ जंग छेड़ने व कश्मीर में कैंप लगाकर आतंकियों की भर्ती करने के मामले में 10 आरोपितों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखते हुए केरल हाई कोर्ट ने इस्लामी कट्टरपंथियों पर अपनी टिप्पणी की। कोर्ट ने इशारा किया कि जिन उग्र विचार वालों को लगता है पाकिस्तान ही उनके लिए सही जगह है वो जान लें कि भारत में उनके साथ कभी कुछ गलत नहीं हुआ।

अदालत ने कट्टरपंथियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कट्टरपंथी और उग्र विचार वाले लोग विभाजन के बाद से भारत के इतिहास को देखें और महसूस करेंगें कि बाड़ के दूसरी तरफ (पाकिस्तान में) स्थिति इतनी भी ठीक नहीं है जितनी वो लोग समझ के बैठे हैं। न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति सी जयचंद्रन ने मामले की सुनवाई के दौरान बताया कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान भी हिंदू बहुल भारत में मुसलमानों को बंधक बनाने की घटनाएँ विभाजन के बाद से नहीं हुई हैं।

गौरतलब है कि साल 2013 में भारत के खिलाफ आतंकियों की भर्ती करने के मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की अदालत ने केरल के कुछ आरोपितों को पकड़कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसी मामले पर केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की और हुए लश्कर-ए-तैयार के तदियंतविडे नजीर समेत 10 की सजा जस की तस रखी। लेकिन 3 को बरी कर दिया गया। बताया जाता है कि नजीर ही लश्कर ए तैयबा का केरल कमांडर था।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आतंकियों को पड़ने के लिए एनआईए और केरल पुलिस की प्रतिबद्धता की तारीफ की। साथ ही लैरी कॉलिन्स और डोमिनिक लैपिएरे की किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ के अध्याय 5 का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि भारत में मुसलमान एक ‘हिंदू समुद्र में द्वीप’ जैसे होंगे और देशों के बीच संघर्ष का शिकार होंगे…। कोर्ट ने कहा कि न तो इतने सालों में ऐसी कोई घटना हुई जहाँ बंधक बनाने की हालत आई और न ही कभी उनकी ओर से अच्छा व्यवहार किया गया। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आरोपितों की भर्ती केरल से केवल मजहबी आधार पर हुई थी। बाद में इन्हें पाकिस्तान भेजा गया ताकि ये वहाँ से ट्रेनिंग लेकर आएँ और भारत में आतंक मचाएँ। भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में इनमें से तीन मर गए थे जबकि एक ने भर्ती की बात स्वीकार कर ली थी।

न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन ने अपने आदेश में कहा, “ऐसी जन्नत की चाह में, जो सिर्फ इंसानों को मार कर और देश के नागरिकों को मार कर मिलती है, पाँच लोगों ने धरती पर ऐसी जन्नत का सफर किया….अब वो वहाँ जन्नत के मजे ले रहे हैं या नहीं ये एक सवाल है लेकिन उन्होंने अपने परिवारजनों के लिए जीवन को जहन्नुम बना दिया जो शर्म से दुख में डूबते जा रहे हैं।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया