पाकिस्तानी वीजा मिलने के बाद कश्मीर के 218 युवा गायब, भारत में आतंकी हमले के लिए कर रहा तैयार: रिपोर्ट्स

आशंका जताई जा रही कि गायब युवाओं को आतंकी हमले के लिए तैयार कर रहा पाक (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जम्मू-कश्मीर के 200 से अधिक ऐसे युवा गायब हैं जिन्हें पाकिस्तानी उच्चायोग की ओर से वीजा जारी किया गया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह जानकारी सामने आते ही खुफिया एजेंसियॉं अलर्ट हो गई हैं।

आशंका जताई जा रही है कि ये युवा पाकिस्तान के कब्जे में हैं और इन्हें जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए वह प्रशिक्षित कर रहा है।

खुफिया सूत्रों ने कहा है, “पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के युवाओं को फरवरी 2019 के पुलवामा हमले की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित कर रहा है।” खबरों के मुताबिक 2017 से पाकिस्तान उच्चायोग ने जम्मू-कश्मीर के 399 युवाओं को पाकिस्तानी वीजा जारी किया है। इनमें से 218 के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

इसी प्रकार अमेरिकी विदेश विभाग की ‘ट्रेफिकिंग इन पर्सन्स’ की 2019 की रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 वर्ष तक के बच्चों का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों कर रहे हैं। कई मामलों में 12 वर्ष के बच्चों को हथियार उठाने और आईईडी थामने को मजबूर किया गया। यह रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई।

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नई दिल्ली के पाकिस्तान उच्चायोग की करतूतें

सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग में कर्मचारियों की आधे से कम संख्या करने के पीछे का एक कारण यह भी था कि अधिकारियों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों के लिए कथित तौर पर जम्मू-कश्मीर के युवकों की भर्ती करने का प्रयास किया जा रहा था।

नई दिल्ली में एक सूत्र ने पुष्टि की थी कि खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई जाँच से संकेत मिले हैं कि पाकिस्तान दिल्ली में अपने उच्चायोग का इस्तेमाल न केवल अपनी सैन्य जासूसी एजेंसी के नेटवर्क चलाने के लिए कर रहा था, बल्कि आतंकवादियों की भर्ती भी कर रहा था।

पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों के साथ हुई बदसलूकी और पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अपहरण कर लिए जाने के कारण भारत ने 23 जून को पाकिस्तानी उच्चायोग से 7 दिनों के अंदर अपने कर्मचारियों की उपस्थिति आधा करने को कहा साथ ही भारत भी इसी अनुपात से पाकिस्तान स्थित उच्चायोग से अपने कर्मचारियों की उपस्थिति कम करेगा।

विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद हैदर शाह को समन जारी किया और उन्हें मिशन के अधिकारियों के जासूसी में शामिल रहने और आतंकी संगठनों से जुड़ी गतिविधियों पर भारत की चिंता के बारे में बताया।

पाक उच्चायोग का आतंकी हमलों और आतंकी फंडिंग से संबंध

पिछले दिनों पाकिस्तान से आतंकवाद का प्रशिक्षण प्राप्त कर भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों द्वारा कई हमले किए गए थे। इन आतंकियों को दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया गया था।

जम्मू-कश्मीर के निलंबित डीएसपी देवेन्दर सिंह, जिसे 11 जनवरी को हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकी नवेद बाबू और आसिफ राठर के साथ गिरफ्तार किया गया था, के मामले की जाँच एनआईए कर रही है। इस मामले में एनआईए ने हाल ही में खुलासा किया था कि पाकिस्तान उच्चायोग में सहायक के तौर पर तैनात शफाकत नाम का व्यक्ति देवेन्दर सिंह के संपर्क में था।

31 मई को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के दो अधिकारियों को दिल्ली पुलिस ने जासूसी करते हुए पकड़ा था। इन दोनों अधिकारियों पर फर्जी पहचान के साथ अपनी सीमा से बाहर के स्थानों पर घूमने का आरोप लगा था।

कथित तौर पर आबिद हुसैन और ताहिर हुसैन नाम के दोनों अधिकारी नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के वीजा अनुभाग में काम करते थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दोनों आरोपितों को फर्जी पहचान के साथ जासूसी करते रंगे हाथ दबोचा था। दोनों आधिकारिक तौर पर उच्चायोग के वीजा विभाग में काम करते थे, लेकिन वे वास्तव में आईएसआई के जासूस थे।

आपको बता दें कि 5 अप्रैल को भारतीय सेना द्वारा मार गिराए गए पाँच आतंकियों में से तीन आतंकी जम्मू-कश्मीर से थे। जानकारी के मुताबिक मारे गए आतंकी आदिल हुसैन मीर, उमर नजीर खान और सज्जाद अहमद हुर्रा ने अप्रैल 2018 में नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा जारी किए गए वीजा पर पाकिस्तान की यात्रा की थी।

जम्मू-कश्मीर आतंकी फंडिग मामले में एनआईए ने जाँच के दौरान पाकिस्तानी मिशन के मुदस्सर इकबाल चीमा का नाम आया था। चीमा सितंबर 2015 से नवंबर 2016 तक मिशन में था। उसने इस मामले के मुख्य आरोपी जहूर अहमद शाह वटाली को दो किस्तों में सत्तर लाख रुपये दिए थे। दरअसल पाकिस्तानी उच्चायोग से हुर्रियत नेताओं को पैसा भेजने वाला वटाली मुख्य सरगना था।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के 15 जून, 2020 को जम्मू-कश्मीर के शोपियॉं में आतंकी ठिकाने से भारी मात्रा में कंडोम, वियाग्रा, गर्भनिरोधक गोलियॉं और पोर्न बरामद किया गया था। इससे पता चलता है कि कश्मीर में इस्लाम के नाम पर जारी ‘जिहाद’ की आड़ में सेक्सुअल टेरर को अंजाम दिया जा रहा है। इतना ही नहीं आतंकी कश्मीरी महिलाओं का यौन शोषण भी करते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया