कर्नाटक हाई कोर्ट ने आतंकी मोटू डॉक्टर उर्फ़ सबील अहमद की याचिका पर राहत देने से इनकार कर दिया है। मोटू डॉक्टर पर कर्नाटक और महाराष्ट्र में हिन्दू नेताओं की हत्या की साजिश में शामिल होने का मामला चल रहा है। मोटू डॉक्टर चाहता है कि उसे कोर्ट इस आरोप से बरी कर दे।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने सबील अहमद की याचिका पर बुधवार (24 जुलाई, 2024) को सुनवाई की। कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि उसे NIA द्वारा दर्ज इस मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती। सबील अहमद ने दावा किया कि ऐसे ही एक मामले में उसे दिल्ली की एक अदालत से राहत मिल चुकी है जिसे इस मामले में भी लागू हो किया जाए।
सबील अहमद के इस दलील को कोर्ट ने नहीं माना और कहा कि दोनों मामले एक जैसे दिख सकते हैं और दोनों में कुछ गवाह भी समान हो सकते हैं, लेकिन मामला अलग है और यह चलता रहेगा। कोर्ट ने इस मामले में सबील अहमद की याचिका खारिज कर दी।
गौरतलब है कि सबील अहमद उर्फ़ मोटू डॉक्टर पर आरोप है कि उसने 2012 में एक साजिश में हिस्सा लिया था। इसके अंतर्गत लश्कर ए तैयबा में जुड़ कर हिन्दू नेताओं, पत्रकारों और पुलिस अधिकारियों को मारने की योजना रची जा रही थी। सबील अहमद इस योजना के अंतर्गत हथियार और पैसा जुटा रहा था।
सबील अहमद इस मामले का भंडाफोड़ होने के बाद 2010 में सऊदी अरब चला गया था। उसे 2020 में वापस भारत प्रत्यर्पित किया गया था। इसके बाद उसे NIA ने गिरफ्तार कर लिया था। सबील अहमद की गिरफ्तारी के बाद से उसके खिलाफ मुकदमा चल रहा है।
सबील अहमद के खिलाफ NIA ने कोर्ट में दलील दी कि दिल्ली में उसके विरुद्ध दर्ज किया गया मामला साजिश रचने का है जबकि बेंगलुरु में चल रहा मामला साजिश का हिस्सा लेने है। ऐसे में दोनों मामले अलग हैं और दिल्ली के मामले के आधार पर उसे कोई राहत ना दी जाए। NIA ने आरोप लगाया कि वह लगातार उन बैठकों का हिस्सा था जहाँ यह साजिश रची जाती थी।
बेंगलुरु का रहने वाला सबील अहमद आतंकी कफील अहमद का भाई है। एयरोनॉटिकल इंजीनियर कफील अहमद ने 2007 में ब्रिटेन के ग्लासगो शहर के एयरपोर्ट पर खुद को उड़ा लिया था। इस आत्मघाती हमले में और कोई नहीं मरा था जबकि कफील के चीथड़े उड़ गए थे।