पटना HC के जज की कहानी: जब मस्जिद से लाउडस्पीकर हटाने का आदेश पड़ा था भारी, कट्टरपंथियों के खौफ से रातों-रात कराया ट्रांसफर

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो : इंडिया टीवी)

हाल ही में पटना में हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग के उत्तरी भाग के नजदीक बन रहे 4 मंजिला ‘वक्फ भवन’ को ध्वस्त करने का आदेश उच्च न्यायालय में 4:1 के जजमेंट के साथ पास किया गया। ऐसा ही एक मामला सन् 2005 में आया था, जब हाईकोर्ट के पास स्थित मस्जिद में लाउडस्पीकर के उपयोग को एक निश्चित समय के दौरान रोकने का आदेश पारित करने वाले जज को मुस्लिमों के तीव्र विरोध के चलते बिहार से अपना ट्रांसफर कराना पड़ा था।

पटना में हाईकोर्ट से सटी हुई मस्जिद में कोर्ट की कार्यवाही के दौरान लाउडस्पीकर का उपयोग किए जाने के संबंध में तत्कालीन जज, जस्टिस आरएस गर्ग ने नाराजगी जाहिर की थी और DM सुधीर कुमार एवं SSP एनएच खान को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि मस्जिद की अजान से कोर्ट की कार्यवाही बाधित न हो। जस्टिस गर्ग ने तब कहा था कि लाउडस्पीकर से दी जाने वाली अजान के कारण उन्हें सुनवाई में बाधा होती है। उन्होंने कहा था कि मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकर से अजान देना पटना हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का उल्लंघन है।

तब न्यायमूर्ति गर्ग ने कहा था, “मस्जिद प्रबंध समिति के सदस्य सत्ता के करीबी होने के कारण खुद को विशेषाधिकार प्राप्त मानते हैं और अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने की धृष्टता करते हैं। अदालत अपने आदेशों की अवहेलना करने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ेगी।”

जस्टिस गर्ग द्वारा जिले के प्रमुख अधिकारियों समेत मस्जिद की प्रबंधन समिति के सदस्यों को आदेशित किए जाने के बाद पुलिस ने मस्जिद के इमाम और 3 अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया था और लाउडस्पीकर को भी जब्त कर लिया था। हालाँकि, जस्टिस गर्ग के इस आदेश के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग काफी नाराज हो गए थे और सड़क पर उतरकर उन्होंने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था। कई मुस्लिमों ने आदेश पारित करने वाले जस्टिस गर्ग को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का आदमी कहा था।

इस प्रदर्शन के कारण जस्टिस गर्ग ने अपना ट्रांसफर बिहार से बाहर कराने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट को दी थी। जस्टिस गर्ग की अर्जी पर विचार करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उनका ट्रांसफर पटना से गुजरात हाईकोर्ट कर दिया था। जस्टिस गर्ग ने तब कहा था, “इन प्रदर्शनों से सार्वजनिक तौर पर मेरी छवि खराब हुई है, ऐसे में मैं पटना में काम नहीं कर सकता। यही कारण है कि मैंने अपने ट्रांसफर का आवेदन किया है।”

ज्ञात हो कि पटना में हाईकोर्ट की बिल्डिंग के पास बने ‘वक्फ भवन’ के मामले में जस्टिस अश्विन कुमार सिंह, विकास जैन, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, राजेंद्र कुमार मिश्रा और चक्रधारी शरण सिंह की विशेष पीठ ने सुनवाई की थी। मामले की सुनवाई में पीठ के चार जजों ने हाईकोर्ट के पास बने निर्माण को हटाने के पक्ष में फैसला दिया, जबकि अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इस मामले में अपनी असहमति जताई और निर्माण को बस नियम विरुद्ध बताया और उसे अवैध मानने से इंकार कर दिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया