राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तुलना तालिबान से करने के बाद संगीतकार जावेद अख्तर बुरी तरह फँसते नजर आ रहे हैं। आज शिव सेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में जावेद अख्तर को इस बयान के लिए लताड़ा है। दूसरी ओर सोशल मीडिया यूजर्स भी #जावेद_अख्तर_गद्दार_है हैशटैग ट्रेंड करवा कर उनसे सवाल कर रहे हैं।
मुकेश जाधव कहते हैं जैसा कि जावेद अख्तर ने कहा विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल तालिबान से ज्यादा खतरनाक हैं। मगर क्या वीएचपी, आरएसएस या बजरंग दल, महिलाओं को जबरन उठाता है? सत्ता के लिए लोगों को मारता है? धार्मिक कानून लागू करता है? आतंक में संलिप्त होता है? ड्रग स्मगलिंग करता है? या धार्मिक चिह्नों को नष्ट करता है?
https://twitter.com/MukeshJ46181560/status/1434822982707265537?ref_src=twsrc%5Etfwकुछ लोग जावेद अख्तर के इस बयान के बाद शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी से दोबारा साथ आने की अपील कर रहे हैं। यूजर्स का कहना है, “कुछ लोग कुत्ते की दुम जैसे होते हैं। ये लोग कभी नहीं बदलते। शिवसेना और भाजपा को एक साथ आना चाहिए ताकि हिंदुत्व को बचाया जा सके।”
https://twitter.com/UskoIsko/status/1434825273942298630?ref_src=twsrc%5Etfwएक अक्षय भारती नाम का यूजर कहता है, “जावेद अख्तर, तो तुम्हारे हिसाब से भारत में भी तालिबानी हैं। तुम भारतीय तालिबान में रहे। अब तुम बाकी बची जिंदगी अफगानिस्तान में बिताते हुए अनुभव क्यों नहीं अर्जित करते?”
https://twitter.com/AkshayBharati6/status/1434824954072104966?ref_src=twsrc%5Etfwकुछ लोग जावेद अख्तर की पोती की पुरानी तस्वीर शेयर करके पूछ रहे हैं कि आखिर जैसे उनकी पोती भारत में घूमती हैं क्या वो ऐसा ही पहनावा पहन कर तालिबान में घूम सकती हैं?
https://twitter.com/Hemender_Ojha/status/1434824811306356740?ref_src=twsrc%5Etfwकुछ यूजर जावेद अख्तर से असहमति दिखाते हुए कहते हैं, “जावेद अख्तर साहब आपने RSS की तुलना आतंक से कैसे की अब ये बताइए कितनी बार बोल चुके हो पत्नी सहित कि भारत असहिष्णु है तो अफगानिस्तान में जाकर अपने अब्बा हुजूर के सामने भ%$ गिरी और मुजरा क्यों नहीं करते जाकर। निर्लज्ज कहीं के।”
https://twitter.com/lavkushsingh18/status/1434822932086149122?ref_src=twsrc%5Etfwजावेद अख्तर ने क्या कहा था?
3 सितंबर को एनडीटीवी के एक शो में अख्तर ने कहा था, “आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल का समर्थन करने वालों की मानसिकता भी तालिबान जैसी ही है।” उन्होंने कहा, ”जिस तरह तालिबान एक मुस्लिम राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रहा है। उसी तरह कुछ लोग हमारे सामने हिंदू राष्ट्र की अवधारणा पेश करते हैं।” जावेद अख्तर ने आगे कहा, “इन लोगों की मानसिकता एक जैसी है। तालिबान हिंसक हैं। जंगली हैं। उसी तरह आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल का समर्थन करने वाले लोगों की मानसिकता एक जैसी है।”
शिवसेना का जवाब
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में जावेद अख्तर पर बसरते हुए कहा, ”इन दिनों कुछ लोग किसी की तुलना तालिबान से कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे समाज और मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। पाकिस्तान और चीन, जो लोकतांत्रिक देश नहीं हैं, वो भी अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि इन दोनों देशों में मानवाधिकारों का कोई स्थान नहीं है। हालाँकि, हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं जहाँ एक व्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है। इसलिए, तालिबान से आरएसएस की तुलना करना गलत है। भारत हर तरह से बेहद सहिष्णु है।”
संपादकीय में आगे कहा गया है कि आरएसएस और विहिप जैसे संगठनों के लिए हिंदुत्व एक ‘संस्कृति’ है। इसमें कहा गया है, ”आरएसएस और विहिप चाहते हैं कि हिंदुओं के अधिकारों का दमन न किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने कभी भी महिलाओं के अधिकारों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। वहीं, अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति बेहद भयावह है। लोग दहशत में हैं। तालिबानियों से डर कर अपने ही देश से भाग गए और वहाँ महिलाओं के अधिकारों का दमन किया जा रहा है।”