‘सेकुलर’ बने राजदीप सरदेसाई तो बिरादरों ने ही कर दी ऑनलाइन धुलाई, बकरीद के दिन हिंदुओं को आषाढ़ी एकादशी की दी थी बधाई

आषाढ़ी एकादशी पर राजदीप सरदेसाई की बधाई पड़ी भारी (तस्वीर-एशियानेट)

आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर संभवतः पहली बार इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्विटर पर 10 जुलाई 2022 को अपने फॉलोवर को शुभकामनाएँ दीं। लेकिन यह उनके लिए उल्टा पड़ता नजर आया। उनके ट्वीट के तुरंत बाद ही स्टीवंस बिजनेस स्कूल के एक प्रोफेसर सहित कुछ लोग मजे लेते हुए तो लिबरल गिरोह ने ट्विटर पर उनके पाला बदलने को देखकर उन पर हमला बोलता नजर आया। बता दें कि राजदीप सरदेसाई एक मराठी परिवार से ताल्लुक रखते हैं और आषाढ़ी एकादशी हिंदू कैलेंडर के सबसे पवित्र अवसरों में से एक है और महाराष्ट्र में तो लोग इसे और भी उत्साह के साथ मनाते हैं।

हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने तक विश्राम करते हैं। वहीं आषाढ़ी एकादशी पर, लाखों तीर्थयात्री महाराष्ट्र के पंढरपुर में भगवान विष्णु के अवतार भगवान विठ्ठल के दर्शन पाने के लिए इकट्ठा होते हैं।

कल इस त्यौहार पर, राजदीप सरदेसाई ने लोगों को एकादशी की बधाई देते हुए लिखा, “सभी को एकादशी की शुभकामनाएँ, अमन और ख़ुशी।”

जानकारी के लिए बता दें कि हिन्दुओं को शुभकामना देने के इस ट्वीट से ठीक पहले राजदीप सरदेसाई ने मुस्लिमों को ईद की शुभकामनाएँ भी दी थीं, क्योंकि 10 जुलाई को बकरीद भी मनाया जा रहा था। इस अवसर पर राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया था, “ईद मुबारक। सभी को शांति और खुशी।”

स्टीवंस बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर गौरव सबनीस ने राजदीप सरदेसाई के ट्वीट पर कमेंट्स करते हुए ट्वीट किया, “हेहे ‘हैप्पी एकादशी’ ऐसा लगता है कि नहीं जानता एक साल में 24 होते हैं। कभी-कभी 26. मुझे पक्का यकीन है कि यार नहीं जानता कि आषाढ़ी एकादशी का क्या अर्थ है। बस बैलेंस करने की कोशिश कर रहा है।”

एक अन्य ट्विटर यूजर अर्बन श्रिंक ने ट्वीट किया, “प्राण जाए पर बैलेंस ना जाए।” कमेंट में बताया गया कि कैसे ईद की बधाई देने के बाद राजदीप सरदेसाई ने मिनटों में एकादशी की शुभकामनाएँ भी दीं।

एक अन्य ट्विटर यूजर संजय मुखर्जी ने राजदीप सरदेसाई को जवाब देते हुए अपने ट्वीट में लिखा, “एकादशी महीने में कम से कम दो बार आती है। इसका कोई विशेष महत्व नहीं है, सिवाय इसके कि हिंदू विधवाओं के लिए कुछ भोजन पर प्रतिबन्ध हैं। “अंतर-विश्वास” सद्भाव के चक्कर में, कृपया भ्रमित न हों।”

एक और ट्विटर यूजर एम. सादिक अली ने ट्वीट किया, ”आज देश में ईद भी मनाई जा रही है। ईद के मौके पर बधाई देने के आपके डर को आसानी से समझा जा सकता है।” भले ही सरदेसाई ने ट्वीट कर अपनी ईद की बधाई दी थी, लेकिन जाहिर तौर पर एक हिंदू त्योहार के लिए बधाई ट्वीट करने से इस बात में दम नहीं रहा।

वहीं आषाढ़ी एकादशी पर हिंदुओं को बधाई देने के लिए लिबरलों की आलोचनाओं का सामना करने के बाद, राजदीप सरदेसाई ने बात को घुमाते हुए बैलेंस करने की कोशिश की, उन्होंने ट्वीट किया, “रविवार की दोपहर: ईद और एकादशी एक ही दिन। हो सकता है कि देवता हमें अंतरधार्मिक सद्भाव की आवश्यकता की याद दिला रहे हों।”

हालाँकि, इस ट्वीट से डैमेज कंट्रोल करने के बजाय राजदीप सरदेसाई को और अधिक आलोचना झेलनी पड़ी। एक ट्विटर यूजर डोरेमोन ने जवाब दिया, “ईद एक जानवर को मारने और उनका मांस खाने के बारे में है और एकादशी आपके दिमाग को साफ और शुद्ध करने के लिए उपवास के बारे में है। दो पूरी तरह से अलग दर्शन।”

कुलमिलाकर, इस संतुलन के चक्कर में राजदीप सरदेसाई को दोनों तरफ से आलोचना ही झेलनी पड़ी। लेकिन सबसे अधिक लिबरलों को उनके इस कदम से मिर्ची लगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया