किसी ने मोबाइल पर लगाई फोटो, किसी ने बच्ची का रखा नाम: कराची में खुद को बम से उड़ाने वाली बलूच महिला बनी ‘Legend’ , Pak में ट्रेंड हुआ नाम

शारी बलूच पाकिस्तान में हुईं ट्रेंड

पाकिस्तान के कराची यूनिवर्सिटी के बाहर आत्मघाती हमला करने वाली शारी बलूच पाकिस्तान में ट्रेंड हो रही है। इस ट्रेंड में शारी को लीजेंड बताया जा रहा है। तमाम लोग उसकी वीडियो शेयर करके उसकी तारीफ कर रहे हैं। कोई उसे शहीद बता रहा है तो कोई उसे प्रेरणा कह रहा है। इससे पहले शारी की तारीफ बलूचिस्तान के स्थानीय लोगों द्वारा घटना को अंजाम देने के बाद होनी शुरू हुई थी

ट्विटर पर ShariTheLegend हैशटैग ट्रेंड होने के साथ देख सकते हैं कि किसी ने शारी को सम्मान देते हुए उसकी तस्वीर अपने डिस्प्ले स्क्रीन पर लगाई है और किसी ने अपनी बेटी का नाम ही शारी रख दिया है।

एक ट्विटर यूजर ने शारी की फोटो मोबाइल स्क्रीन पर सेट करके स्क्रीनशॉट शेयर किया और लिखा, “मैंने अपने मोबाइल की लॉक स्क्रीन पर शारी की फोटो लगाई है। ये एक छोटा सी श्रद्धांजलि है शारी बलूच को। सिंध से शारी और अपने बलूचियों के लिए प्यार, जो अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं।”

इसी तरह एक नवजात बच्ची की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है। जिसके सामने केक है और उस पर लिखा है- ‘वेलकम शारी बलूच।’

कई यूजर्स शारी बलूच को कुर्बानी का सबसे बड़ा उदाहरण मान रहे हैं। समझाया जा रहा है कि शारी सिर्फ बलूचवासियों के लिए ही नहीं बल्कि अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा हैं।

गौरतलब है कि कराची यूनिवर्टी के बाहर 26 अप्रैल को चीनी नागरिकों को निशाना बनाने वाली शारी बलूच की हाल में बलूच लिबरेशन आर्मी ने वीडियो शेयर की थी। इस वीडियो में शारी कह रही थी कि उसने इतना बड़ा कदम बलूचिस्तान की आजादी के लिए और वहाँ के लोगों को दी जा रही यातनाओं के खिलाफ उठाया। वीडियो में शारी ने बताया कि कैसे पाकिस्तान के प्रति नफरत ने उन्हें इस निर्णय को लेने में मदद की।

शारी ने वीडियो में कहा, “जब महिला राजनीति कर सकती है, प्रदर्शन कर सकती है, शिक्षा ले सकती है और अपनों के लिए सड़कों पर बैठ हो सकती है तो हम आजादी की जंग का हिस्सा भी बन सकते हैं।” वीडियो में आत्मघाती हमलावर ने सभी बलूच औरतों से एक साथ आने को कहा ताकि आजादी के लिए लड़ रहे बलूच पुरुषों को साथ मिले। वीडियो में वो याद करती है कि कैसे उसे जीवन में सब मिला और जिंदगी में कोई कमी नहीं थी लेकिन फिर भी उसने ये निर्णय लिया और इसका उसे कोई गम नहीं है। उसने मजीद ब्रिगेड को शुक्रिया अदा किया कि उन लोगों ने उसे बलूच की पहली महिला फिदायीन हमलावर बनने का मौका दिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया