लिबरलमैन: देखें लिबरलों-वामपंथियों के पाखंडों की पोल खोलती वायरल हो रही ये 5 वीडियो क्लिप

द डेली स्विच ने लिबरलों की पोल खोल दी

इन दिनों सोशल मीडिया पर लिबरलमैन नाम का एक कैरेक्टर काफी वायरल हो रहा है। हालाँकि यह कैरेक्टर काल्पनिक है, मगर इससे देश के उन लोगों के पाखंड को आइना दिखाने की जरूरत है, जो खुद को ‘उदारवादी’ कहते हैं, मगर वास्तव में उनका इससे कोई लेना देना नहीं होता है, वो इससे कोसों दूर होते हैं।

सोशल मीडिया पर The Daily Switch नाम के राजनीतिक, मीडिया और कल्चर वेबसाइट ने विश्व के नए सुपरहीरो ‘लिबरलमैन’ और ‘उदारवादियों’ की हरकतों को शेयर किया है।

वायरल वीडियो में से एक में एक बिल्डिंग जल रहा होता है, जिसमें एक 4 साल का बच्चा फँसा होता है। बिल्डिंग के बाहर दो एनिमेटेड कैरेक्टर बच्चे के पेरेंट्स के रूप में असहाय खड़े होते हैं। तभी उन्हें ऊपर से सुपरपावर के साथ ‘लिबरलमैन’ उड़ता हुआ दिखाई दिया। उनके अंदर उम्मीद जगी कि सुपरहीरो उनके बच्चे को बचा लेगा। हालाँकि लिबरलमैन ने ‘मदद’ के लिए कुछ नियम व शर्तें रखीं।

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जब पेरेंट्स ने बताया कि उनकी चार साल की बच्ची बिल्डिंग के अंदर आग में फँसी है, तो लिबरलमैन उसकी सहायता के लिए ये कहते हुए सहमत हो जाता है वो जरूर सेक्सिज्म का शिकार हुई होगी। इसके बाद वो मदद के नाम पर कैंडललाइट मार्च, ‘dafli of doom‘ और कुदरती बिरयानी का विकल्प देता है। जाहिर है, लिबरलमैन की अपनी प्राथमिकताएँ हैं।

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एक अन्य वीडियो में ‘लिबरलमैन’ शुरू में इस बात से सहमत था कि सोनू सूद ने प्रवासियों को उनके गृहनगर तक पहुँचाने की दिशा में काफी अच्छा काम किया। मगर जैसे ही एक वीडियो में सोनू सूद ने कहा कि वह पीएम मोदी के प्रशंसक हैं, तो लिबरल का कहना था कि सोनू सूद गैर-जिम्मेदार थे क्योंकि प्रवासियों को वापस भेजने से गाँवों में कोरोना वायरस फैल सकता है। साथ उसने सोनू सूद को ‘हत्यारा’ बताते हुए उनसे ‘अज़ादी’ की भी माँग की।

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जिनकी कॉमेडी पर कोई नहीं हँसता या फिर जिन्हें फिल्मों में रोल मिलना बंद हो गया हो, भारत में ‘उदारवादियों’ के पास उनके करियर को फिर से शुरू करने का एक उपाय है। और वो है प्लेकार्ड और वोक मैसेज कॉम्बिनेशन। हो सकता है कि यह उन्हें कॉमेडियन व बना पाए, लेकिन कम से कम यह उन्हें फेमस तो बना ही देगा। इसमें ‘विक्टिम कार्ड’ स्वीकार्य होने की भी बात कही गई है।

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एक अन्य वीडियो में दिखाया गया है कि जब तक आप लिबरलों से सहमत नहीं हैं, आप ‘आईटी सेल’ से हैं या फिर आरएसएस से। एक सच्चा उदारवादी कभी भी पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में किसी भी अधिकार से सहमत नहीं होगा।

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इसी तरह एक वीडियो में दिखाया गया है कि देश जब कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, तो इस समय विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्र किस तरह से काम कर रहे हैं। इसमें एम्स, आईआईटी, आईआईएम और जेएनयू के छात्र होते हैं। जहाँ एम्स, आईआईटी और आईआईएम के छात्र कोरोना को लेकर उनके द्वारा किए जा रहे शोध के बारे में बताते हैं, वहीं जेएनयू का छात्र कोरोना को फासिस्ट बताते हुए डफली बजाकर आजादी की माँग करता है।

इस तरह की और भी वीडियो देखने के लिए आप The Daily Switch को फॉलो कर सकते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया