अश्वनी कुमार घर के एकमात्र कमाऊ पूत थे। उनके पिता ने मज़दूरी कर बेटों को पढ़ाया- लिखाया। कॉलेज के समय से ही एनसीसी में रहे अश्वनी काफ़ी पहले से ही सीआरपीएफ में भर्ती होना चाहते थे। इसी वर्ष उनकी शादी भी तय होने वाली थी।
शहीद संजय के दोस्तों के अनुसार, वह सिर्फ़ एक अच्छे जवान ही नहीं बल्कि एक अच्छे विचार वाले व्यक्ति भी थे। जब भी गाँव आते तो दोस्तों से ज़रूर मिलते थे। जिस वक़्त संजय के शहीद होने की सूचना मिली, उनकी माँ घर पर नहीं थी। सूचना मिलते ही जब वो घर पहुँची तो माहौल मातम में बदल गया।
तिलक राज एक अच्छे गायक और कबड्डी खिलाड़ी भी थे। उनके एक वीडियो को 12 लाख से भी अधिक बार देखा गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गाँव के स्कूल का नाम का नाम तिलक राज की याद में रखने की घोषणा की।
जवानों की शहादत के बाद से पूरे देश में मातम का माहौल छाया हुआ है। कई परिवार बिलख रहे हैं, तो कई बेटे की शहादत का बदला चाहते हैं। इन शहीदों में एक नाम ठाकुर रतन सिंह का भी शामिल है।
उनकी पत्नी शिल्पी यादव ने बताया कि अवधेश तीन दिन पहले ही जल्दी लौटने का वादा कर ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। शिल्पी अपने तीन वर्ष के बेटे निखिल को कलेजे से लगा कर रो रही थी। वो बार-बार बेहोश हो रही थी।
लोकनगर निवासी अजीत कुमार सीआरपीएफ की 115वीं बटालियन में तैनात थे। बीते गुरुवार की शाम वह जम्मू से श्रीनगर सीआरपीएफ के काफ़िले के साथ जा रहे थे। इस दौरान पुलवामा के अवंतीपोरा के गोरीपोरा में एक आतंकी ने विस्फोटक से भरी गाड़ी को जवानों की बस से टकरा दी।