होली-दीवाली पर ‘ज्ञान’ देने वाले आज कह रहे ‘बकरा हमारा’, बकरीद पर निरीह पशुओं को काटने वाले ‘मोहब्बत की दुकान’ कर रहे आबाद: पत्रकार हो या RJ, सबकी खाल एक जैसी
कुर्बानी का अर्थ केक कटिंग नहीं है। उसमें बाकायदा एक जीव का गला रेतकर उसकी खाल को नोचा जाता है। माँस के धारदार चाकू से टुकड़े होते हैं।