मोहन जी ने दावा किया था, "मैंने सुना था कि पुरुषों में नपुंसकता लाने वाली दवा पंचामृतम में मिलाई गई थी। इस खबर को छिपाया गया और उस पंचामृतम को नष्ट कर दिया गया।"
कुप्पाम्मल की उम्र 40 साल से ज्यादा हो चुकी है। वो इरुला जनजाति की हैं। करीब 2 दशक पहले उन्हें तमिलनाडु की एक चावल मिल से बंधुआ मजदूरी से मुक्ति मिली थी।
एक 72 वर्षीय महिला ने बताया कि वो जन्म से यहीं रह रही हैं। उन्होंने बताया कि जब से उन्हें बताया गया है कि ये जमीनें वक्फ बोर्ड की हैं तब से सभी ग्रामीण डरे हुए हैं।