‘ललुआ का सब आदमी इसके साथ हो गया है’: वह सीट जो बार-बार कह रही थी सरकार एनडीए की ही बनेगी
बिहार कवरेज के दौरान हम केवटी सीट पर बार-बार गए। यही वह सीट थी जहाँ पहली बार 'माई समीकरण' को दरकते देखा और एनडीए की वापसी शत-प्रतिशत तय लगी।
बिहार कवरेज के दौरान हम केवटी सीट पर बार-बार गए। यही वह सीट थी जहाँ पहली बार 'माई समीकरण' को दरकते देखा और एनडीए की वापसी शत-प्रतिशत तय लगी।
बिहार चुनावों का ऑपइंडिया ने कैसे लगाया सटीक अनुमान? पर्दे के पीछे क्या चल रहा था? सीरिज की पहली कड़ी।
यह महज संयोग नहीं, प्रयोग है। इसका असर हुआ तो एनडीए उस स्थिति में पहुँच सकती है, जिसका अनुमान कोई नहीं लगा रहा।
मैथिल लोग जहाँ भी होते हैं, विद्यापति को अपनी धरोहर मान कर स्नेहपूर्वक उनकी बातें करते हैं, लेकिन उनके जन्मस्थल बिस्फी...
नीतीश कुमार से नाराजगी और मुंगेर की घटना से एनडीए ने पहले चरण में जो कुछ खोया उसकी भरपाई अगले दो चरणों में कैसे बदली रणनीति?
जिवेश मिश्रा को पूरी उम्मीद है कि उनके क्षेत्र की जनता यह देख कर कॉन्ग्रेस को मुँहतोड़ जवाब देगी, जिसका असर 10 नवंबर को देखने को मिलेगा।
इस चुनावी लड़ाई में BJP सबसे आगे दिख रही। RJD और JDU उसके पीछे। लेकिन, बिना नीतीश कुमार के कोई सरकार बनने की संभावना नहीं दिखती।
मंदाकिनी चौधरी का काम एक मुखिया के रूप में जमीन पर नजर आता है। उनकी बातें लक्ष्यहीन या हवा-हवाई किस्म की नहीं हैं।
शशिभूषण हजारी ने विकास के दावे किए। मगर पंडों से बात की, तो वो काफी नाराज दिखे। उनका कहना है कि सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया।
2010 में जदयू के राजकुमार राय ने अन्य जातियों की गोलबंदी के सहारे ही राजद के माई समीकरण को ध्वस्त कर दिया था। 2015 में नीतीश कुमार...