जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन है। इससे पहले देशभर से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को 24 फरवरी को कश्मीर भेजा गया था। उस समय लोकसभा चुनाव के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था का हवाला देते हुए तैनाती की गई थी।
'जॉइन इंडियन आर्मी' फेसबुक पेज लाइक करने वालों में से ही हनी-ट्रैप होने वाले शिकारों का चयन हो रहा है। सिविलियन्स के भी निशाना बनने से इंकार नहीं किया जा सकता।
इस फैसले से नक्सल प्रभावित राज्यों और जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के 88,000 से अधिक जवानों और अधिकारियों को फायदा मिलेगा। इस से पहले केंद्र सरकार ने अर्धसैनिक बलों के श्रीनगर जाने-आने के लिए हवाई यात्रा की व्यवस्था करने का निर्णय लिया था।