ऐसा नहीं है कि गहलोत और पायलट में अचानक से दूरियॉं बढ़ी है। सरकार गठन के बाद से ही पायलट की उपेक्षा की जा रही है। आरटीआई से सामने आई एक जानकारी से भी इसकी पुष्टि होती है। इसके मुताबिक 25 करोड़ के 62 विज्ञापन दिए गए। इसमें सिर्फ और सिर्फ गहलोत ही नजर आए।
भाजपा के नेता ही दिल्ली के चुनाव में पार्टी की दुर्गति चाहते थे। उन्हीं के नेता चाहते थे कि भाजपा को अच्छे नतीजे न मिलें। मुख्यमंत्री गहलोत के मुताबिक भाजपा के नेता मन ही मन कह रहे थे कि इन्हें कोई सबक मिलना चाहिए।
"राज्य विधानसभा ने सीएए के खिलाफ संकल्प प्रस्ताव आज पारित किया। हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस कानून को निरस्त करे, क्योंकि यह धार्मिक आधार पर लोगों से भेदभाव करता है जो हमारे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।"