बिहार विधानसभा चुनाव: गलत हो सकते हैं Exit Polls, कारण – महिला वोटिंग, अनाज वितरण और फेल होता MY समीकरण

बिहार में आए एग्जिट पोल्स पर अजीत भारती और ग्राउंड जीरो से अजीत झा का डिस्कशन

बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के बाद आए लगभग सभी एग्जिट पोल्स में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन की सरकार बनती दिख रही है, या फिर काँटे की टक्कर है, लेकिन क्या ये आँकड़े गलत भी हो सकते हैं? प्रथम चरण में भाजपा के लिए बहुत कुछ दाँव पर नहीं था, लेकिन दूसरे और तीसरे चरण को मिला दें तो कम से कम राजग को साधारण बहुमत तो मिलता दिख ही रहा है। अगर महिलाएँ बड़ी संख्या में मत डालने निकली हैं तो राजग के जीतने की संभावना ज्यादा है।

नीतीश कुमार से ज़रूर लोग ऊब गए हैं, जिसका कारण है पिछले पाँच वर्ष। लोग तारीफ भी करते हैं तो उनके प्रथम कार्यकाल की। नीतीश कुमार के कर्म का फल ही है कि राजद आज उन्हें टक्कर दे रही है क्योंकि 2015 में उन्होंने ही मृत पार्टी को संजीवनी दी। लेकिन, लोग तेजस्वी यादव को उनका विकल्प नहीं मान रहे। बिहार में आई बाढ़ के बाद हुए लाख भ्रष्टाचार के बावजूद जनता तक राहत सामग्री पहुँची, उसका फायदा भी उन्हें मिला।

इसी तरह सुशील कुमार मोदी से भी लोग नाराज़ हैं। सीमांचल के इलाके में देख लीजिए। वहाँ असदुद्दीन ओवैसी, राजद और कॉन्ग्रेस जीत सकती हैं लेकिन वोट बँटते हैं तो जदयू को फायदा हो सकता है। कई सीटों पर जातीय गुटबंदी टूटती दिख रही है। अनाज वितरण ही सबसे बड़ा वो कारण है, जिससे राजग को फायदा होता दिख रहा है। जहाँ पर यादव बनाम यादव है, जैसे तेज प्रताप यादव की हसनपुर, वहाँ भी उम्मीदवारों की छवि पर चीजें निर्भर करती हैं।

भाजपा को लेकर कोई नाराजगी नहीं थी क्योंकि लोग चाहते थे कि भाजपा अकेले लड़े। लेकिन, नीतीश कुमार को भी उतना नुकसान नहीं हुआ है। चिराग पासवान को लोजपा का परंपरागत वोट मिल रहा है लेकिन दूसरे लोग उनके साथ नहीं गए हैं। कई जगह उन्होंने पिछली बार अच्छा प्रदर्शन करने वाले निर्दलीयों को भी टिकट दिया है। राजद के लिए भी माई समीकरण की बहुत बड़ी गुटबंदी नहीं दिख रही है। इसीलिए बिहार विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स गलत भी हो सकते हैं।

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Editorial Desk: Editorial team of OpIndia.com