हिस्ट्रीशीटर बना कलियुग का श्रवण कुमार, खुद के चमड़े से बनवाई माँ के लिए चप्पल: रामायण का नाम लेकर खुद को महात्मा साबित करने चला!

रौनक गुर्जर (फोटो साभार : अमर उजाला)

रामायण पढ़कर एक बदमाश का ऐसा हृदय परिवर्तन हुआ कि उसने अपने शरीर के चमड़े से माँ के लिए खड़ाऊँ बनवा डाला। यही नहीं, उसने खुद को कलियुग का श्रवण कुमार साबित करने के लिए अपने घर पर भागवत कथा का आयोजन किया और फिर अपनी माँ को उसने खुद के शरीर के निकवाए गए चपड़े से बना चप्पल भेंट किया। बस, फिर क्या था, माँ के साथ ही वहाँ मौजूद हर कोई इमोशनल हो गया और मीडिया भी उसे कलियुग का दूसरा श्रवण कुमार बताने लगा। हाँ, ये जरूर है कि मीडिया को हर साल ऐसे कई कई श्रवण कुमार मिल ही जाया करते हैं। न यकीन हो तो गूगल पर ‘कलियुग का श्रवण कुमार’ लिखकर सर्च कर लीजिए।

बाकी ये मामला है महाकाल की नगरी उज्जैन के ढांचा भवन इलाके का। जहाँ के रहने वाले हिस्ट्रीशीटर रौनक गुर्जर का रामायण पढ़ते-पढ़ते ऐसा हृदय परिवर्तन हुआ, कि अंगुलिमाल की तर्ज पर महर्षि वाल्मीकि बनने का ख्याल आ गया। वैसे तो रौनक गुर्जर कुख्यात हिस्ट्रीशीटर रह चुका है। एनकाउंटर के दौरान पैर में गोली भी खा चुका है, लेकिन अब वो नियमित तौर पर रामायण का पाठ करता है और धार्मिक गतिविधियों में लीन रहने की कोशिश करता है।

इसी तरह दिन गुजर ही रहे थे कि रौनक गुर्जर को रामायण पढ़ते हुए श्रवण कुमार से प्रेरणा मिल गई। ऐसे में उन्होंने संकल्प ले लिया कि वे अपनी चमड़ी से माँ के लिए चप्पलें बनवाएंगे। रौनक गुर्जर ने इस संकल्प को किसी को भी नहीं बताया, लेकिन गत दिनों उन्होंने एक सर्जरी के बाद अपनी जाँघ से चमड़ी निकलवाकर माँ के लिए चरण पादुका बनवाई और उन्हें भेंट कर दी। जब बेटे रौनक गुर्जर ने माँ निरूला गुर्जर को या चरण पादुका पहनाई तो माँ बेटे का यह अगाध प्रेम देखकर लोगों की आँखों से आँसू बहने लगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सांदीपनि नगर ढांचा भवन पुरानी टंकी के पास अखाड़ा ग्राउंड परिसर में सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन हो रहा है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक गुरु और कथावाचक जितेंद्र महाराज कथा सुना रहे हैं। इस भागवत कथा का आयोजन करा रहा है रौनक गुर्जर नाम का व्यक्ति, जो कभी अपराधों के चलते हिस्ट्रीशीटर की मुहर लेकर घूम रहा है। और यहीं पर सेंटी करने वाला ये सारा कार्यक्रम किया गया। बाकी, रौनक के मन में कब ये सब करने का ख्याल आया, किस डॉक्टर ने उसकी चमड़ी निकाली, कितनी चमड़ी निकाल कर चप्पल बना, ये सब जानकारी बाकी के कथित मेनस्ट्रीम मुर्गा नाच कराने वाले मीडिया हाउस बता ही चुके हैं, जिसकी वजह से पूरे देश के लोगों की आँखों से आँसुओं की धारा बह रही है।

वैसे, भले ही ये समाचार पढ़ कर सभी के आँखों में आँसू आ रहे हों, लेकिन ऐसा कभी हो सकता है कि क्या कोई माँ अपने ही बेटे के शरीर से निकले चमड़े का बना चप्पल पहन पाए? तो भईया, सेंटी होने की जगह सीधी सी बात है कि जनता को मन को लुभाने वाली खबरें पढ़नी होती है और मीडिया को ऐसी ही खबरें दिखाकर टीआरपी और हिट्स बटोरनी होती है… बाकी जन भावनाओं से खेलने वाले अपना काम कर निकलते हैं। ये तो रामायण के नायक भगवान राम भी नहीं जानते होंगे कि रौनक ने अपने ही चमड़े की चप्पलें बनवाकर माँ को कितनी खुशी दी होगी, बाकी उसे महात्मा बनना था, और मीडिया वालों को नया त्यागी (त्याग करने वाला) चाहिए था, तो वो मिल गया। बाकी जपो, हरि का नाम… कलियुग का दूसरा श्रवण कुमार।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया