यूरोप में एक देश है – उच्च आय वाला, विकसित और मानवीय विकास में समृद्ध। उत्तर-पूर्वी यूरोप में बाल्टिक सागर के किनारे स्थित ये देश संस्कृति भाषा में खासी रुचि रखता है। कारण – इसका मानना है कि इसकी भाषा और संस्कृति का जुड़ाव भारत की संस्कृत से है। लुथियानिया में संस्कृत के विद्वान विटिस विदुनस भारत पहुँचे हुए हैं। वो 444 वर्ष पूर्व स्थापित विल्नियस यूनिवर्सिटी के एशियन एवं बहुसांस्कृतिक अध्ययन विभाग में स्कॉलर हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित ‘इंडियन इंटरनेशनल सेंटर’ में एक लेक्चर दिया।
इस दौरान उन्होंने भारत और लिथुआनिया में भाषाई समानता के तथ्य सामने रखे। इस मामले में लिथुआनिया और रिसर्च करना चाहता है और भारत में ऐसे कई लेक्चर आयोजित किए जाने हैं जिनमें ये पहला था। इस कार्यक्रम के दौरान भारत में लिथुआनिया की राजदूत डायना मिकेविसीन भी मौजूद थीं। उन्होंने इस दौरान कहा कि संस्कृत, लिथुआनियाई भाषा की सबसे करीबी बहन है। उन्होंने कहा कि ये दोनों देशों के बीच एक विशेष बॉन्ड का काम भी करता है।
उन्होंने जानकारी दी कि भारत में लिथुआनिया के दूतावास ने देश भर में दोनों भाषाओं के इस कनेक्शन को पहचान दिलाने के लिए सक्रिय प्रयासों की शुरुआत की है। इसी के तहत विद्वान विटिस विदुनस की लेक्चर सीरीज आयोजित की जा रही है। उन्होंने बताया कि दोनों भाषाओं की समानताएँ शब्दावली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि व्याकरण की संरचना में भी समानताएँ हैं। इसमें कई अन्य रहस्योद्घाटन भी हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसमें अभी ज़्यादा खोज नहीं हुई है, इसमें और भीतर घुसने की ज़रूरत है।
Lithuanian Sanskrit Scholar from @VU_LT Asian &Transcultural studies centre Vytis Vidunas holds a public lecture @IIC_Delhi on #Sanskrit & #Lithuanian linguistic similarities. 1st from series of lectures across India to showcase & promote deeper research. @M_Lekhi @DMickeviciene pic.twitter.com/0yy5pmbu5P
— Lithuania in India (@LTEmbassyDelhi) October 24, 2023
राजदूत डायना मिकेविसीन ने बताया कि इस प्रक्रिया में भारत और लिथुआनिया, दोनों देशों के विद्वानों और शोधकर्ताओं को जोड़ा जाएगा। पहले जागरूकता बढ़ाई जाएगी, उसके बाद परस्पर सहयोग पर जोर दिया जाएगा। इसके बाद रिसर्च पर सारा जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों ही देशों के विद्वानों के लिए ये रोचक होने वाला है। बता दें कि 16वीं शताब्दी में लिथुआनिया के कुछ ईसाई मिशनरी भारत आए थे, तभी से दोनों देशों के संबंध हैं। फरवरी 1992 से दोनों देशों में कूटनैतिक संबंध हैं।