संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 28) में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी UAE के दुबई पहुँचे हैं। इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने साल 2028 में होने वाले COP33 की मेजबानी भारत में करने का प्रस्ताव रखा है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत जलवायु परिवर्तन प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क के प्रति प्रतिबद्ध है। भारत ने G20 की अध्यक्षता में ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ की भावना के साथ पर्यावरण के विषय को निरंतर महत्व दिया है। सस्टेनेबल भविष्य के लिए हमने मिलकर ग्रीन डेवेलपमेंट पैक्ट पर सहमति बनाई है।”
पीएम ने कहा, “इस मंच से मैं 2028 में भारत में COP33 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखता हूँ। हमने सतत विकास के लिए जीवनशैली के सिद्धांत बनाए, हमने वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा को 3 फीसदी करने पर प्रतिबद्धता जताई है। भारत ने दुनिया के सामने इकोलॉजी और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है।”
#WATCH | Dubai, UAE | At the Opening of the COP28 high-level segment for HoS/HoG, PM Narendra Modi says, "India is committed to UN Framework for Climate Change process. That is why, from this stage, I propose to host COP33 Summit in India in 2028." pic.twitter.com/4wfNBn7r3L
— ANI (@ANI) December 1, 2023
पीएम मोदी ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को भारत ने साल 2030 तक 45 प्रतिशत तक कम करने और गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। भारत तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अपने योगदान लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह पर है। उन्होंने बताया कि भारत ने निर्धारित समय सीमा से 11 साल पहले ही उत्सर्जन तीव्रता का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
भारत की आबादी को लक्षित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी रहती है। इसके बावजूद वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत का योगदान 4 प्रतिशत से भी कम है। भारत दुनिया की उन कुछ अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो NDC लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर है। पीएम ने लोगों की भागीदारी के माध्यम से ‘कार्बन सिंक’ बनाने पर केंद्रित ‘ग्रीन क्रेडिट’ पहल की शुरुआत की।
गौरतलब है कि COP28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के अध्यक्ष साइमन स्टिल के साथ आरंभिक पूर्ण सत्र में शामिल होने वाले एकमात्र नेता थे। उन्होंने कहा कि सबके हितों की रक्षा की जानी चाहिए और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सबकी भागीदारी जरूरी है।