माहवारी के नाम पर कार्यस्थलों पर महिलाओं को पेड छुट्टी मिले या नहीं… ये इन दिनों बहस का मुद्दा है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हाल में ऐसे किसी भी विचार का विरोध किया था। अब एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया है कि वो नहीं चाहतीं कि कार्यस्थलों पर महिलाओं को भेद-भाव महसूस करना पड़े इसलिए उन्होंने इस नीति को लाने का विरोध किया था।
याद दिला दें कि ईरानी ने माहवारी पर पेड लीव के मुद्दे पर कहा था कि ये कोई दिव्यांग होने जैसा नहीं है कि इसके लिए अलग से पेड लीव दी जाए।
अब उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा है कि वो इस मुद्दे पर और भी बहुत बोल सकती थीं, लेकिन जिन्होंने (राजद सांसद मनोज झा) सवाल किए थे उनका मकसद महिलाओं की परेशानियों का समाधान ढूँढना नहीं था। ईरानी ने इंटरव्यू में बताया कि संसद में उन्होंने जो कुछ भी बोला वो निजी अनुभव झेलने के बाद बोला ताकि और किसी महिला के साथ भेदभाव न हो।
EP-123| Smriti Irani on Parliament Security Breach, I.N.D.I.A Bloc, Menstrual Leave Debate, T.V world#ANIPodcastwithSmitaPrakash #SmritiIrani #parliamentwintersession
— ANI (@ANI) December 21, 2023
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उन्होंने कहा कि अगर ऐसी नीति आ जाती है तो एक महिला को अपनी लीव के लिए पहले अपने बॉस और एचआर को बताना होगा कि उसके पीरियड्स हैं इसलिए छुट्टी चाहिए। ईरानी पूछती हैं कि आखिर महिलाओं को क्यों फोर्स किया जा रहा है कि वो अपने पीरियड के दिनों को प्रचार करें? क्यों आखिर आपको नौकरी देने वाले को आपके पीरियड्स की जानकारी क्यों होनी चाहिए? वह कहती हैं कि क्या कोई इस बात की कल्पना कर सकता है कि महिलाओं को कितना ज्यादा भेदभाव झेलना पड़ेगा। उन्हें काम करने में कितनी बाधाएँ आएँगी।
बता दें कि माहवारी के दौरान महिलाओं को छुट्टी देने का मुद्दा पिछले दिनों संसद में राजद सांसद मनोज झा ने उठाया था। उन्होंने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जो सवाल किए उनकी लिस्ट आप नीचे देख सकते हैं।
यहाँ पूछा गया है कि क्या सरकार मेंस्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी लाने के विचार में है? अगर है जो विवरण दे ; क्या उस नीति में LGBTQIA कम्युनिटी के लोगों के मेंस्ट्रुअल हाइजिन के लिए भी प्रावधान हैं? क्या सरकार इस मुद्दे से जुड़े अभियान स्कूल-कॉलेजों में चला रही है? अगर है तो विवरण है और नहीं है तो कारण दें।
गौरतलब है कि संसद में मुद्दे को उठाने के बाद मनोज झा ने कहा था कि लालू सरकार में 1992-93 में बिहार में ये लीव देने का प्रावधान बिहार में लाया गया था। जिसे ईरानी ने इंटरव्यू के दौरान फर्जी दावा बताया और कहा कि किसी प्राइवेट सेक्टर में ऐसा रूल नहीं चालू हुआ।
इसके अलावा उन्होंने मुख्य रूप से उस तीसरे प्रश्न को उठाया जिसमें मनोझ झा ने LGBTQIA समुदाय का जिक्र किया था। उन्होंने कहा, “झा जी ने मौखिक उत्तरों के लिए प्रश्नों की सूची में मुझसे LGBTQIA प्लस समुदाय के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के उपायों के बारे में पूछा। अब मुझे बताएँ, LGBTQIA समुदाय जिसके लिए माननीय सदस्य प्रतिक्रिया चाहते थे, किस समलैंगिक पुरुष को गर्भाशय के बिना मासिक धर्म होता है?”
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