अयोध्या में नवनिर्मित भगवान राम के मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में स्थित वीरभद्र मंदिर में दर्शन करने पहुँचे। रामायण में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले इस मंदिर में प्रधानमंत्री काफी देर तक रुके। प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर में जाने के बाद रामायण के तेलुगु स्वरुप रंगनाथ रामायण से चौपाइयाँ भी सुनीं।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi listens to verses from the Ranganatha Ramayan at the Veerbhadra Temple in Lepakshi, Andhra Pradesh pic.twitter.com/N7i25CTS1n
— ANI (@ANI) January 16, 2024
लेपाक्षी शहर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है और कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। लेपाक्षी धार्मिक एवं ऐतिहासिक वैभव से भरपूर एक नगर है। यह भारत की समृद्ध वास्तुकला और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, यह वही स्थान है जहाँ भगवान श्रीराम लगभग मृतप्राय जटायु से मिले थे।
राक्षस रावण वह माता सीता को अपहृत करके लंका ले जा रहा था, उस दौरान जटायु ने बड़ी वीरता से लड़ाई लड़ी थी। बताया जाता है कि लेपाक्षी में ही जटायु ने प्रभु राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण को बताया था कि माता सीता का अपहरण कर रावण लंका ले गया है। जटायु ने प्रभु राम से कहा था कि उन्हें माता सीता के पास पहुँचने के लिए समुद्र तट की तरफ बढ़ना चाहिए।
इस नगर का नाम लेपाक्षी तेलुगु भाषा का शब्द है। इसका अर्थ होता है, ‘उठो हे पक्षी’। यह जटायु को एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने माता सीता को राक्षस रावण द्वारा अपहरण किए जाने से बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस नगर में कई हिन्दू मंदिर हैं। यह मंदिर पौराणिक महत्व के हैं।
यहाँ भगवान शिव, विष्णु, पापनाथेश्वर, रघुनाथ श्रीराम और अन्य देवताओं के मंदिर हैं। यहाँ मंदिरों पर की गई नक्काशी और इनकी विहंगमता देखकर श्रद्धालु चकित हो जाते हैं। वीरभद्र मंदिर के खम्भों पर महीन नक्काशी हो या फिर दुनिया के सबसे बड़े नंदी की मूर्ति, विजयनगर राजवंश के कारीगरों का शिल्प कौशल यहाँ की शोभा बढ़ा रहा है।
लेपाक्षी में आकर्षण का मुख्य केंद्र वीरभद्र मंदिर है, जिसे सामान्यतः लेपाक्षी मंदिर के नाम से ही जाना जाता है। यह मंदिर भारत की अद्भुत शिल्पकला के इतिहास का प्रमाण है। यह मंदिर चट्टानों को काटकर बनाया गया है। यह विजयनगर साम्राज्य की भव्यता को भी दिखाता है।
लेपाक्षी मंदिर तब की कला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यह मंदिर उत्कृष्ट भित्तिचित्रों से भी सुसज्जित है। मंदिर परिसर का एक हिस्सा एक चट्टानी पहाड़ी पर स्थित है, जिसे कुर्मासैलम के नाम से जाना जाता है। यह हिस्सा कछुए के आकार की तरह दिखता है।
मंदिर के महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक ‘हवा में झूलता स्तम्भ‘ है। यह मंदिर के अन्य स्तम्भों जैसा ही है, लेकिन यह भूमि को नहीं छूता है। इस मंदिर में माता सीता के पदचिह्न मिलने की भी बात कही जाती है। यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य की भव्यता को दर्शाता है, जो कि कभी दक्षिण के बड़े हिस्से पर राज किया करता था। विजयनगर साम्राज्य ने अपने पूरे राज्य में मंदिर बनवाए थे।
विजयनगर साम्राज्य ने ही वीरभद्र मंदिर की दीवालों पर भी भित्ति चित्र बनवाए थे। मंदिर की दीवालों पर बने भित्ति चित्र माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान शिव, संतों और संगीतकारों के चित्र दर्शाता है। मंदिर के अन्दर 70 स्तम्भ मौजूद हैं, जबकि इसके अंदर स्थित एक गुफा संत अगस्त्य का निवास स्थान मानी जाती है।
यहाँ साँप की एक प्रसिद्ध मूर्ति भी है, जिसे माना जाता है कि मूर्तिकारों के दोपहर के खाने के दौरान एक ही चट्टान से बनाया गया था। इसके अलावा, पास की पहाड़ियों पर पापनाथेश्वर, रघुनाथ, श्रीराम और दुर्गा के मंदिर बने हुए हैं। इन पहाड़ियों को कुर्मासैला के नाम से जाना जाता है।