Saturday, July 27, 2024
17 कुल लेख

Jinit Jain

Writer. Learner. Cricket Enthusiast.

मांस-मछली से मुक्त हुआ गुजरात का पालिताना, इस्लाम और ईसाइयत से भी पुराना है इस शहर का इतिहास: जैन मंदिर शहर के नाम से...

शत्रुंजय पहाड़ियों की यह पवित्रता और शीर्ष पर स्थित धार्मिक मंदिर, साथ ही जैन धर्म का मूल सिद्धांत अहिंसा है जो पालिताना में मांस की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने की मांग का आधार बनता है।

आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी मंदिर पहुँचे पीएम मोदी, किया दर्शन और सुनी चौपाइयाँ: जानिए अयोध्या से इस स्थान का क्या है कनेक्शन

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में स्थित वीरभद्र मंदिर में दर्शन करने पहुँचे।

नाजी, इस्लामी और खालिस्तानी: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही आतंकियों का पनाहगार बना कनाडा, संसद अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद फिर जस्टिन...

कनाडा आज से नहीं, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही बना हुआ है आतंकियों का पनाहगार। इस्लामी, नाज़ी और अब खालिस्तानी - सब वहाँ से करते रहे हैं ऑपरेट।

मुस्लिमों के 2 हथियार- भीड़ और हिंसा: 5 ऐसे मौके जब इस्लामवादियों की बातें कबूल करने को मजबूर हुई भारत सरकार

कट्टरपंथी मुस्लिमों ने भीड़ और हिंसा को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और इसके बल उन्होंने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया।

जम्मू की मस्जिद से मौलाना ने नूपुर शर्मा और आशीष कोहली का सिर कलम करने की धमकी दी: जाने TOI, HT ने सच छिपाकर...

HT और TOI ने अपनी रिपोर्ट में जम्मू की एक मस्जिद के मौलाना द्वारा हिंदुओं के मजाक उड़ाने और जहरीला भाषण देने को नजरअंदाज कर दिया।

‘जय भीम’ से लेकर ‘चंद्रकांता’ तक: हिन्दुओं को बदनाम करने और मुस्लिमों को अच्छा दिखाने के लिए असली कहानी से यूँ की जाती है...

'जय भीम', 'चक दे इंडिया', 'शेरनी', 'चंद्रकांता' और 'काबुलीवाला' - इन सब में क्या कॉमन है? सभी में असली कहानी से छेड़छाड़ कर के हिन्दुओं को बदनाम किया गया।

हिंदू भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ में ‘अल्लाह’ जोड़ने के लिए गाँधी ने उसे कैसे किया था विकृत, जानिए

महात्मा गाँधी ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए हिंदू धार्मिक भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ के बोल के साथ छेड़छाड़ की थी।

समाज सेवा के लिए गायन छोड़ना चाहती थीं लता मंगेशकर, सावरकर ने समझाया और बनीं सुर की देवी: कहानी राष्ट्रभक्ति के एक रिश्ते की

यह अल्पज्ञात तथ्य है कि लता मंगेशकर ने शुरुआती समय में समाज सेवा के लिए गायन छोड़ने का मन बना लिया था। लेकिन सावरकर के समझाने पर वह इसी दिशा में बढ़ीं।