दिन बदलने के साथ शिव सेना का रुख एक बार फिर से बदल गया है। कल रात को जहाँ उसकी चुनाव नतीजों से अब तक भाजपा के लिए कड़वी रही ज़बान से अचानक ही फ़ूल झड़ने लगे थे, उसे (अपने राजनीतिक अस्तित्व) और राज्य के हित के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का बने रहना ही श्रेयस्कर लग रहा था, वहीं आज अचानक फिर से उसे 50-50 फॉर्मूला याद आने लगा है।
शिव सेना के प्रमुख प्रवक्ता और पार्टी के मुखपत्र सामना के कार्यकारी सम्पादक संजय राउत ने कल दिए बयानों से गुलाटी मारते हुए आज फिर से दावा किया है कि उनकी पार्टी के रुख में न ही कोई नरमी आई है, न ही उनकी पार्टी कभी अपने वादे से पीछे हटी थी। यह तो भारतीय जनता पार्टी है, बकौल राउत, जो चुनाव के पहले तय किए गए 50-50 फॉर्मूले पर अमल से पीछे हटना चाहती है। उन्होंने कहा कि शिव सेना अपनी माँग पर आगे बढ़ती रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार निर्माण होने की सूरत में मंत्रीमंडल में 50-50 मंत्रियों का गणित ही रहेगा। अगर बीजेपी के पास 145 विधायक हैं, तो बेशक सरकार बना ले। राउत पार्टी के कोटे से राज्य सभा सांसद भी हैं।
Sanjay Raut, Shiv Sena on 50-50 formula for government formation in Maharashtra: We will not step back from our stand. If anyone has gone back on their promise, it is our ally. We will continue to move forward with our demand. pic.twitter.com/XHaS6wJs4o
— ANI (@ANI) October 31, 2019
कल ही राउत के हवाले से मीडिया में खबर आई थी कि शिव सेना अब सीएम की कुर्सी को लेकर और अड़ने को इच्छुक नहीं है। मीडिया से बात करते हुए शिव सेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कथित तौर पर कहा था कि पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ अपनी युति की कद्र करती है।
बकौल राउत, “हमें पता है कि गठबंधन में बने रहना ही बेहतर है और यही राज्य के भी हित में है। जो हम चाहते हैं, वह यह कि हमें सम्मान दिया जाए।” लेकिन इसी के साथ राउत ने यह भी जोड़ा कि पार्टी सरकार बनाने के लिए भी किसी तरह की उत्सुकता नहीं दिखाना चाहती। उन्होंने कहा, “हमें इसे ठंडे दिमाग से करना होगा।”
Shiv Sena spokesperson Sanjay Raut has said that the party valued its partnership with the BJPhttps://t.co/L2vDKmN4Ok
— India Today (@IndiaToday) October 30, 2019
इसके पहले तक शिव सेना के बोल भाजपा के साथ एनडीए युति को सहेजने के आज के सुर से बिलकुल उलट थे। शिव सेना न केवल 50-50 फॉर्मूला के अंतर्गत ढाई साल सीएम की कुर्सी और मंत्री परिषद में बड़ी हिस्सेदारी से कम के लिए तैयार नहीं थी, बल्कि भाजपा के हरियाणा में जेजेपी के साथ गठजोड़ पर भी तंज़ कस रही थी। संजय राउत ने ही ताना मारते हुए कहा था कि जेजेपी के उलट शिव सेना में किसी के पिताजी जेल में नहीं पड़े, जिन्हें निकालने के लिए सरकार का हिस्सा बनने की जल्दी हो।