चेन्नई के एक अस्पताल में पाकिस्तानी युवती आएशा को हिन्दू व्यक्ति का ह्रदय लगाए जाने पर एक इमाम ने कहा है कि यह हृदय काफिर है। इमाम ने बताया कि यह ह्रदय पहले बुतों के सामने झुकता था और अब अल्लाह के सामने झुकेगा। इमाम का दावा है कि गैर मुस्लिम व्यक्ति ने भले ही पाकिस्तानी लड़की को ह्रदय दिया हो लेकिन उसका यह काम नेक नहीं है क्योंकि वह मुसलमान नहीं है। यह बातें कहने वाला इमाम पाकिस्तानी है। इसका एक वीडियो वायरल हो रहा है।
इसमें इमाम से जब एक यूट्यूबर ने इस मामले के विषय में पूछा तो उसने कहा कि पाकिस्तानी लड़की को ह्रदय देने वाला शख्स हिन्दू होकर मरा इसलिए उसका कोई भी शबाब नहीं गिना जाएगा। शबाब (पुण्य) पाने के लिए आदमी को मुसलमान हो कर मरना जरुरी है। इमाम ने कहा कि मुसलमान बच्ची की हिम्मत ये है कि उसने बुतों के सामने झुकने वाले का दिल रब (अल्लाह) के सामने झुका दिया। इमाम ने एक कहानी सुना कर बताया कि मुसलमान होकर मरना जरूरी है।
इमाम ने बताया कि काफिरों का कोई भी काम आखिरत (दुनिया के खात्मे) के समय गिना नहीं जाएगा। इमाम ने मुस्लिमों के अंगदान को भी गलत बताया। इमाम ने कहा कि बगैर जरूरत के रक्तदान भी जायज नहीं है। इमाम ने कहा कि जब रोगी की जान पर बन आए तभी रक्तदान होना चाहिए, ऐसे नहीं। इमाम ने इस बात पर गुस्सा जताया कि पाकिस्तान पूरी तरीके से इस्लामी नहीं है। उसने कहा कि पाकिस्तान के केवल नाम में ही इस्लामी बचा है।
गौरतलब है कि पाकिस्तानी के कराची की रहने वाली एक 19 वर्षीय मुस्लिम युवती आएशा को चेन्नई में जनवरी, 2024 में एक 68 वर्षीय हिन्दू व्यक्ति का ह्रदय लगाया गया था। हिन्दू व्यक्ति को अपस्ताल ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था जिसके बाद उनका अंगदान किया गया। इस ऑपरेशन के लिए लगे पैसों को भी भारत में ही इकट्ठा किया गया था। इसमें लगभग ₹30 से ₹40 लाख का खर्च आया। आएशा को अब अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। बताया गया कि आएशा का इलाज इस अपस्ताल से 2019 से ही चल रहा था।