कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को तीन दशक बीत गए हैं लेकिन जिन लोगों ने उस समय अपने परिवार वालों को खोया उनके लिए वो जख्म कभी नहीं भर सकते। आज 25 जून 2024 है। आज से ठीक 34 साल पहले कश्मीर में एक सरकारी स्कूल की लैब सहायिका का काम करने वाली गिरिजा टिक्कू की निर्ममता से हत्या की गई थी।
गिरिजा के साथ जो वीभत्सता हुई थी उस घटना को 2022 में रिलीज कश्मीर फाइल्स फिल्म में भी दिखाया गया था। फिल्म देखने के बाद उनके भाई-बहन बोले थे कि इतने सालों में परिवार में किसी सदस्य ने कभी गिरिजा दीदी का नाम नहीं लिया और इस विषय पर कभी कोई बात नहीं हुई। फिल्म देखने के बाद पहली बार घर में उनकी बात हुई और सब लोग रोए।
21 जून को अपहरण के बाद जब इस्लामी कट्टरपंथियों का मन भर गया तो उन दरिंदों नें जिंदा गिरिजा को बिजली से चलने वाली मशीन के बीच डालकर दो हिस्सों में चीरा दिया था और फिर उनका शव 2 टुकड़ों में काटकर फेंक दिया था।
गौरतलब है कि गिरिजा बारामूला जिले के अरिगाम गाँव में रहती थीं। उनकी एक स्कूल में बतौर लैब असिस्टेंट की नौकरी थी। 11 जून 1990 को गिरिजा अपने पैसे लेने के लिए स्कूल गयी। उसी दिन वह अपने स्कूल के दोस्तों से मिलने उनके घर भी गई थीं। इसके बाद जब वो बस से लौट रही थीं तभी कट्टरपंथियों की नजर उनके ऊपर पड़ी। उसके बाद जो हुआ उस पर बोलते हुए गिरिजा टिक्कू की भतीजी सिद्धि रैना ने एक इंस्टा पोस्ट भी किया था।
गिरिजा टिक्कू की भतीजी ने फिल्म को लेकर इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया था। इस पोस्ट में उन्होंने कश्मीरी फाइल्स में दिखाई गई हकीकत पर कहा था- यह फिल्म उन भयानक रातों को दिखाती है जिनसे न केवल उनका परिवार गुजरा बल्कि हर कश्मीरी पंडित परिवार गुजरा। उनके पिता की बहन गिरिजा टिक्कू, एक यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरियन थीं। वह अपनी सैलरी लेने के लिए गई थीं। वापस आते वक्त वह जिस बस में सवार थी, उसे रोक दिया गया और इसके बाद जो हुआ, उसे सोचकर अभी भी उनकी रुह काँप जाती है, आँख आँसुओं से और मन घृणा से भर उठता है।
सिद्धि रैना ने बताया कि उनकी बुआ को एक टैक्सी में फेंक दिया गया था, जिसमें 5 आदमी थे (उनमें से एक उसका सहयोगी था)। उन लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया, उनके साथ बलात्कार किया और फिर बढ़ई की आरी से उन्हें जिंदा काटकर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी। वह कहती हैं, “आज तक मैंने अपने परिवार के किसी व्यक्ति को इस घटना के बारे में बोलते नहीं सुना। मेरे पिता मुझसे कहते हैं कि हर भाई इतनी शर्म और गुस्से में जी रहा था कि मेरी बुआ को न्याय दिलाने के लिए कुछ नहीं किया गया।”