कनाडा के भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की है। सोमवार (16 सितंबर 2024) को कनाडाई संसद में दिए गए बयान में आर्य ने हिंदू, बौद्ध और ईसाई जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों की कठिनाइयों पर प्रकाश डाला। नेपीयन से लिबरल पार्टी के सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि बांग्लादेश में जब भी अस्थिरता की स्थिति होती है, इन अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदुओं को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ता है।
बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की घटती संख्या
चंद्र आर्य ने कनाडा की संसद में कहा, “बांग्लादेश ने जब 1971 में अपनी स्वतंत्रता हासिल की थी, तब वहाँ की आबादी में धार्मिक अल्पसंख्यकों का हिस्सा काफी बड़ा था, लेकिन आज यह बहुत कम हो गया है। स्वतंत्रता के समय बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की संख्या 23.1% थी, जिसमें लगभग 20% हिंदू शामिल थे। आज यह घटकर केवल 9.6% रह गई है, जिसमें 8.5% हिंदू हैं।” यह आँकड़ा बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है, और यह स्पष्ट करता है कि दशकों से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न कैसे बढ़ रहा है।
कनाडाई हिंदुओं की चिंता
चंद्र आर्य ने बताया कि कनाडा में रहने वाले हिंदू परिवार, जिनके रिश्तेदार बांग्लादेश में हैं, अपने परिवारजनों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंसा के कारण मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है, जिससे कनाडाई हिंदुओं के परिवारों को खतरा है।
आर्य ने बताया कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए 23 सितंबर को कनाडाई संसद के सामने एक रैली का आयोजन किया जा रहा है। इस रैली में कनाडा के बौद्ध और ईसाई समुदायों के लोग भी शामिल होंगे, जिनके परिवार बांग्लादेश में रहते हैं और जिन पर हिंसा का खतरा मंडरा रहा है।
कनाडा की संसद में चंद्र आर्य ने क्या कहा?
कनाडाई संसद में चंद्र आर्य ने कहा, “मैडम स्पीकर, मैं बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा से गहराई से चिंतित हूं। हर बार जब बांग्लादेश में अस्थिरता की स्थिति पैदा होती है, तो धार्मिक अल्पसंख्यक, विशेष रूप से हिंदू, सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। 1971 में स्वतंत्रता के समय बांग्लादेश की आबादी में धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी 23.1% थी, जिसमें लगभग 20% हिंदू थे। अब यह घटकर केवल 9.6% रह गई है, जिसमें लगभग 8.5% हिंदू शामिल हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “कनाडाई हिंदू, जिनके परिवार बांग्लादेश में रहते हैं, अपने परिवारों, उनके मंदिरों और संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। वे इस मुद्दे को उजागर करने के लिए अगले सोमवार (23 सितंबर 2024) को संसद हिल पर एक रैली करेंगे। इसमें कनाडाई बौद्ध और ईसाई परिवारों के लोग भी शामिल होंगे, जिनके परिवार बांग्लादेश में हैं।”
My statement in parliament today:
— Chandra Arya (@AryaCanada) September 16, 2024
Madam Speaker,
I am deeply concerned by violence targeting religious minorities, including Hindus, Buddhists and Christians in Bangladesh.
Every time there is instability in Bangladesh, religious minorities, particularly Hindus, face the brunt.… pic.twitter.com/FOMCVbBB5i
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले
हाल ही में बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से देशभर में हिंसा का माहौल है, जिसमें हिंदुओं को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। अब तक बांग्लादेश के 27 जिलों में हिंदुओं पर हमले हो चुके हैं। इस हिंसा के दौरान कई हिंदू मंदिरों को भी क्षति पहुँचाई गई है।
जमात-ए-इस्लामी ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही, हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं को भी मार दिया जा रहा है और उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया है, जिससे देश में स्थिति और खराब हो गई है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विभाग की एक जाँच टीम बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंची है, जो वहाँ धार्मिक अल्पसंख्यकों और अन्य समूहों के खिलाफ हो रही हिंसा की जाँच करेगी।
कौन हैं चंद्र आर्य?
चंद्र आर्य भारतीय मूल के एक कनाडाई सांसद हैं, जो मूल रूप से भारत के कर्नाटक राज्य से ताल्लुक रखते हैं। दो साल पहले, जब उन्होंने कनाडाई संसद में अपनी मातृभाषा कन्नड़ में भाषण दिया, तो उनका वीडियो वायरल हो गया था। वह कनाडा की संसद में ओंटारियो के नेपीयन निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आर्य का जन्म कर्नाटक के तुमकुरु जिले में हुआ था, और उन्होंने कनाडाई राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी अपने भारतीय मूल और जड़ों से गहरा संबंध बनाए रखा है। उनकी इस प्रतिबद्धता को देखते हुए भारतीय समुदाय और उनके समर्थक उन्हें एक सशक्त नेता के रूप में देखते हैं, जो वैश्विक स्तर पर भारतीय मूल के लोगों के मुद्दों को उठाते हैं।
चंद्र आर्य का यह बयान न केवल बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी इंगित करता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कनाडा में हिंदू, बौद्ध और ईसाई परिवारों द्वारा आयोजित रैली इस मुद्दे को वैश्विक मंच पर उजागर करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।