लेबनान के आतंकवादी शिया संगठन हिज़्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह को इजरायल ने मार गिराया है। इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) ने यह दावा किया कि उन्होंने एक हवाई हमले में हसन नसरल्लाह को मार गिराया है। यह हमला को बेरूत के दक्षिणी उपनगर में स्थित हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर किया गया, जहाँ नसरल्लाह की उपस्थिति की जानकारी मिली थी।
इजरायल ने हिज़्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह को मारने के लिए स्पेशल ऑपरेशन ‘न्यू ऑर्डर‘ शुरू किया था। इस ऑपरेशन में इजरायल ने अपनी अत्याधुनिक तकनीक और रणनीतियों का उपयोग किया और आखिरकार अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक नसरल्लाह को मार गिराया। बताया जा रहा है कि इजरायली फाइटर जेट्स ने 6 ब्लॉक की बिल्डिंगों को पूरी तरह से ध्वस्त करने के लिए 80 बमों का इस्तेमाल किया और हिज़्बुल्लाह के हेडक्वॉर्टर को पूरी तरह से समतल कर दिया।
आईडीएफ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ‘न्यू ऑर्डर’ ऑपरेशन की पुष्टि की गई, जिसमें कहा गया कि अब हसन नसरल्लाह दुनिया को आतंकित नहीं कर पाएगा।
Hassan Nasrallah will no longer be able to terrorize the world.
— Israel Defense Forces (@IDF) September 28, 2024
आईडीएफ के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने इस ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि इजरायली खुफिया एजेंसियों से प्राप्त सटीक जानकारी के आधार पर यह हमला किया गया था। इस हमले में हिज़्बुल्लाह की सीनियर लीडरशिप के कई प्रमुख नेता मारे गए, जिनमें नसरल्लाह के साथ-साथ दक्षिणी मोर्चे के कमांडर अली कर्की भी शामिल थे। इसके अलावा, हिज़्बुल्लाह के मिसाइल यूनिट के प्रमुख मुहम्मद अली इस्माइल को भी इस हमले में मारा गया।
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस हमले में कुल 6 लोग मारे गए और 91 लोग घायल हुए। इस हमले से छह अपार्टमेंट बिल्डिंग पूरी तरह नष्ट हो गईं, जिनके मलबे के नीचे से अभी और शव मिलने की आशंका है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली विमानों ने बेरूत के दक्षिणी उपनगर और पूर्वी लेबनान के बेक़ा घाटी में कई ठिकानों को निशाना बनाया।
कौन था हसन नसरल्लाह की पृष्ठभूमि
हसन नसरल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को बेरूत के एक गरीब इलाके में हुआ था। वह एक किराना व्यापारी के बेटे थे और उनके आठ भाई-बहन थे। उनकी पढ़ाई शुरुआती दिनों में धार्मिक शिक्षा से शुरू हुई और बाद में वह शिया आलिम (धार्मिक विद्वान) बने। उन्होंने 1992 में अब्बास अल-मुसावी की हत्या के बाद हिज़्बुल्लाह की कमान संभाली और तब से लेकर अब तक वह इस संगठन के महासचिव रहे।
नसरल्लाह के नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह ने लेबनान में काफी प्रभावी भूमिका निभाई। हिज़्बुल्लाह एक शिया मिलिशिया समूह है, जो अपने सशस्त्र विंग और राजनीतिक ताकत दोनों के कारण लेबनान के सबसे महत्वपूर्ण दलों में से एक माना जाता है। यह समूह इजरायल के खिलाफ सक्रिय है और उसका उद्देश्य इजरायल को खत्म करना है। हिज़्बुल्लाह के पास हजारों प्रशिक्षित लड़ाके और बड़े पैमाने पर हथियारों का भंडार है, जिसमें मिसाइलें भी शामिल हैं जो इजरायल के अंदर गहराई तक हमला करने में सक्षम हैं।
नसरल्लाह की हत्या से हिज़्बुल्लाह के नेतृत्व को बड़ा झटका लगा है। हिज़्बुल्लाह और इजरायल के बीच तनाव पहले से ही चरम पर था, और अब नसरल्लाह की मौत की खबरों ने इस तनाव को और भी बढ़ा दिया है। इजरायल की सेना ने अपनी तरफ से कहा है कि वह उन सभी को निशाना बनाना जारी रखेगी, जो उसके नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी कहा था कि अगर हिज़्बुल्लाह इस विवाद में दूसरा मोर्चा खोलता है, तो उसे अकल्पनीय जवाब मिलेगा।
लेबनान में पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट जारी है, और अब हिज़्बुल्लाह और इजरायल के बीच बढ़ते इस तनाव ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। लेबनान की जनता में अब यह डर पैदा हो रहा है कि इस संघर्ष के चलते उनका देश एक और युद्ध में फंस सकता है।
हिज़्बुल्लाह की रणनीति और नसरल्लाह का नेतृत्व
हिज़्बुल्लाह ने 2006 में इजरायल के खिलाफ एक महीने तक चले विनाशकारी युद्ध में हिस्सा लिया था। उस युद्ध ने लेबनान को बड़े पैमाने पर क्षति पहुंचाई थी। नसरल्लाह के नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह ने खुद को लेबनान के सबसे ताकतवर सैन्य और राजनीतिक संगठन के रूप में स्थापित किया। नसरल्लाह की रणनीति हमेशा से ही इजरायल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष को बढ़ावा देने की रही है।
नसरल्लाह ने कई बार सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया कि वह लगातार अपने सोने की जगह बदलते रहते थे ताकि इजरायल के हमलों से बच सकें। वह लंबे समय से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए थे और ज्यादातर वीडियो संदेशों के माध्यम से ही अपने समर्थकों से बात करते थे। उनका यह गुप्त जीवन और सशस्त्र संघर्ष के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें उनके समर्थकों के बीच एक हीरो की तरह स्थापित करती थी, वहीं उनके दुश्मन उन्हें एक कुख्यात आतंकवादी के रूप में देखते थे।
हिज़्बुल्लाह और ईरान का संबंध
हिज़्बुल्लाह का ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध है। ईरान ने हमेशा हिज़्बुल्लाह का समर्थन किया है और उसे सैन्य और वित्तीय सहायता प्रदान की है। नसरल्लाह और ईरान के सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनेई के बीच निकट संबंध रहे हैं। हिज़्बुल्लाह को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है, लेकिन इसके बावजूद ईरान और नसरल्लाह के बीच संबंध कभी छिपे नहीं रहे।
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने हाल ही में कहा था कि इजरायल के अपराध हद से बाहर हो चुके हैं और वॉशिंगटन से उन्हें इस पर संयम बरतने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन अमेरिका इजरायल का खुला समर्थन कर रहा है।
इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच यह संघर्ष केवल इन दोनों देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरे मध्य पूर्व पर पड़ सकता है। लेबनान की जनता, जो पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है, इस संघर्ष का सबसे बड़ा शिकार हो सकती है। अब देखना यह होगा कि इस क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय क्या कदम उठाता है और इजरायल-हिज़्बुल्लाह संघर्ष किस दिशा में जाता है।