जनवरी के पहले सप्ताह ही भारत देश से पाँच रोहिंग्या परिवारों को असम जेल से निकालकर वापस म्यांमार भेजे जाने के बाद सऊदी अरब भी दर्जनों रोहिंग्याओं को बांग्लादेश भेजने की तैयारी कर रहा है। ये लोग कई दशकों से बिना नागरिकता के ही अपने परिवार के साथ सऊदी अरब में रह रहे थे।
मिडिल ईस्ट आई के अनुसार रोहिंग्याओं को हथकड़ियों में शुमेसी डिटेन्शन सेंटर, जेद्दाह से लाइन में खड़ा कर बांग्लादेश भेजने की तैयारी की जा रही है। कुछ रोहिंग्याओं, जिन्होंने वापस भेजे जाने का विरोध किया, उन्हें हथकड़ियों में कैद कर और पीटकर वापस भेजा जा रहा है।
सऊदी अरब द्वारा बंधक बनाए गए एक रोहिंग्या कैदी द्वारा मिडिल ईस्ट आई को भेजे गए विडियो में बताया है कि वो पिछले 6-7 सालों से सऊदी अरब में रह रहा है और अब उसे बांग्लादेश भेजने कि तैयारी की जा रही है, जहाँ पर वो भी दूसरे रोहिंग्याओं की तरह ही शरणार्थी बन जाएगा।
#BREAKING The Saudi government is deporting hundreds of #Rohingya refugees to Bangladesh.
— Areeb Ullah (@are_eb) January 6, 2019
Here’s a video sent to me by an inmate in Shumaisi showing Rohingya being lined up, handcuffed, and prepared for deportation. pic.twitter.com/6gGWTVey5d
बंधक बनाए गए रोहिंग्या ने MEE को भेजे गए अपने विडियो में कहा, “वो लोग रात को 12 बजे हमारे घरों में घुसे और हमें सामान बांध कर बांग्लादेश जाने की तैयारी करने को कहने लगे। अब मैं कैद हूँ और मुझे जबरदस्ती एक ऐसे देश भेजा जा रहा है जहाँ का मैं हूँ ही नहीं, मैं बांग्लादेशी नहीं बल्कि रोहिंग्या हूँ।”
रिपोर्ट्स का कहना है कि शुमेसी डिटेन्सन सेंटर से वापस भेजे जा रहे कई रोहिंग्या शरणार्थी ऐसे हैं जो फ़र्ज़ी पासपोर्ट बनाकर पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश जैसे अन्य देशों से आए हैं। जबकि बहुत से रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि उन्होने अपनी पूरी ज़िंदगी सऊदी अरब में ही गुजारी है।
पिछले साल से ही भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देने और उन्हें वापस भेजे जाने के प्रश्न पर बहुत सारे वामपंथी खेमे और लिबरल संगठन सरकार की आलोचना करते आ रहे हैं। वामपंथी बुद्धिजीवियों ने सरकार पर असहिष्णु होने और उनके मुस्लिमों के खिलाफ होने के आरोप लगाकर रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को धार्मिक और सांप्रदायिक रंग देने के प्रयास भी किए। जबकि सऊदी अरब का रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रति रवैया इस द्वंद को साफ करने के लिए काफी है।
देश के तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग ने सरकार को घेरने के लिए उन पर आरोप भी लगाए हैं कि मुस्लिम होने की वजह से ही रोहिंग्याओं को देश से निकाला जा रहा है। लेकिन सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देश ने भी रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकालने के लिए सख्त रवैया अपनाया है।
ये बात साफ है कि रोहिंग्या वर्तमान में दुनिया में सबसे ज्यादा पीड़ितों की श्रेणी में आ चुके हैं, जो दुनियाभर में अपनी नागरिकता को लेकर निरंतर जूझ रहे हैं। लेकिन साथ ही ये भी तय है कि रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को धार्मिक रंग देना उनकी मुश्किलों को कम करने के बजाय बढ़ा ही रहा है।
इस मुद्दे पर तस्लीमा नसरीन ने एक ट्वीट करते हुए लिखा था, “सऊदी अरब रोहिंग्याओं का निर्वासन कर रहा है। अभी तक तो मैंने यही सुना था कि मुस्लिम लोग आपस में भाई होते हैं! लेकिन हमेशा यही देखा है कि अमीर मुस्लिम गरीब मुस्लिम से नफरत करता है, शिया मुस्लिम सुन्नी मुस्लिम को पसंद नहीं करता और सुन्नी मुस्लिम शिया मुस्लिम से नफरत करता है। सुन्नी मुस्लिम अहमदिया मुस्लिम से नफरत करते हैं। सऊदी मुस्लिम यमन के मुस्लिमों, पंजाबी मुस्लिमों, बंगाली मुस्लिमों से नफरत करते हैं।”
Saudi Arabia is deporting Rohingya Muslims! So much I hear Muslims are brothers! But always see rich Muslims hate poor Muslims, Sunni M hate Shia M. Shia M hate Sunni M, Sunni M hate Ahmadia M. Saudi Muslims hate Yemeni Muslims,Punjabi Muslims hate Bengali Muslims & so on!
— taslima nasreen (@taslimanasreen) November 12, 2018
म्यांमार की जेल से भागकर अवैध तरीकों से भारत में घुस रहे रोहिंग्या भारत सरकार के लिए एक बड़ा प्रश्न बनते जा रहे हैं। वहीं कुछ मानवाधिकार समूह भी इस मामले पर लगातार निगाह रख रहे हैं। जबकि भारत सरकार रोहिंग्याओं को ‘सुरक्षा के लिए खतरा’ बताकर उनकी पहचान कर वापस भेजने के प्रयास कर रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार भागकर आए हुए रोहिंग्या पूरे भारत देश के कई प्रमुख राज्यों में रह रहे हैं, जिनमें जम्मू -कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान, असम, तेलंगाना, हरियाणा, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु राज्य प्रमुख हैं।