मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ लगातार आवाज उठती रही है। इसी कड़ी में वह वीडियो फिर से वायरल हो रहा है जब कर्नाटक के मंदिरों में पुजारियों ने दानपेटी हटा दी थी।
उस समय दानपेटी हटाते हुए पुजारियों ने कहा था कि अगर भक्तों का पैसा हिंदुओं के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकता है तो फिर इन दानपेटियों का औचित्य ही क्या है? यह वीडियो पहली बार प्रजा टीवी ने 31 अक्टूबर 2015 को शेयर किया था।
अब यह फिर से वायरल हो रहा है। लेखिका अद्वैत काला ने भी ट्विटर पर इसे शेयर किया है। आप इसमें देख सकते हैं कि कैसे उस वक्त पुजारियों ने मंदिरों की कमाई पर सरकारी कब्जे का विरोध किया था। दानपेटी हटाते हुए उनका कहना था कि जब भक्तों का दान हिंदुओं या मंदिर पर खर्च नहीं हो रहे हैं तो फिर दानपेटी का फायदा ही क्या है?
कर्नाटक के पुजारियों ने मंदिर से दान पेटी हटाना शुरू कर दी है। कहा यदि भक्तों का पैसा हिंदुओं के लिए प्रयोग नहीं हो तो दान पेटी क्यों?
— अद्वैता काला #StayHome 😷 (@AdvaitaKala) August 8, 2020
मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त होएंगे? pic.twitter.com/SX86K7UJvp
असल में मंदिरों और उसकी आय पर सरकारी नियंत्रण किसी विशेष राज्य की ही समस्या नहीं है। भारत की सेकुलर-धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने सबसे ज्यादा जमीनों वाले चर्च और वक्फ बोर्ड को तो सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखा है, लेकिन मंदिरों की जमीनें समय-समय पर, किसी न किसी बहाने से बेचती रही है। पुजारियों को उचित वेतन भी नहीं मिलता।
गौरतलब है कि हाल ही में केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और उसकी संपत्तियों के अधिकारी को लेकर 13 जुलाई 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मंदिर के प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को दिया था। इसके बाद से यह मुद्दा फिर से चर्चा में है।