कर्नाटक में भगवान हनुमान की दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति का निर्माण होने वाला है। 215 मीटर की इस मूर्ति को बनाने में 1200 करोड़ रुपए का खर्च आने वाला है। ये मूर्ति कर्नाटक के किष्किंधा स्थित पम्पापुर में बनाई जाएगी, जिसे भगवान हनुमान का जन्मस्थल भी माना जाता है। ‘हनुमद जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के अध्यक्ष स्वामी गोविन्द आनंद सरस्वती ने इसकी घोषणा की। उन्होंने सोमवार (नवंबर 16, 2020) को ये ऐलान किया।
पम्पापुर, बेल्लारी जिले में स्थित है। इस मूर्ति को बनवाने के लिए लोगों से भी दान लिया जाएगा। ट्रस्ट ने बताया कि पूरे देश में लोगों से दान लेने के लिए रथयात्रा भी निकाली जाएगी। इसके साथ ही ‘हनुमद तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ ने अयोध्या के ‘राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ को राम मंदिर के निर्माण के क्रम में एक भव्य रथ का दान देने का भी निर्णय लिया है। हम्पी के इस प्राइवेट ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि अगले 6 वर्षों में इसका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी अयोध्या में भगवान श्रीराम की 221 मीटर की प्रतिमा के निर्माण का फैसला लिया है। चूँकि, हनुमान की मूर्ति को उनके इष्ट भगवान श्रीराम की मूर्ति से ऊँचा नहीं रखा जा सकता, इसीलिए इसकी ऊँचाई उससे कम, यानी 215 मीटर तय की गई है। दोनों विशाल मूर्तियों के बीच 6 मीटर का अंतर होगा। हम्पी के बाहरी हिस्से में स्थित किष्किंधा ‘यूनेस्को हेरिटेज साइट’ है।
किष्किंधा रामायण काल में दण्डकारण्य का हिस्सा था, जो विंध्य से लेकर दक्षिण भारत तक में फैला हुआ था। तब वहाँ वानरराज सुग्रीव का शासन हुआ करता था। फ़िलहाल वहाँ हनुमान जी की एकमात्र प्रतिमा अंजनाद्रि पर्वत पर स्थित है, जहाँ जाने के लिए श्रद्धालुओं को 550 सीढियाँ चढ़नी होती है, तब जाकर वो मंदिर तक पहुँचते हैं। स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि वो इस स्थल को और भव्य और सबकी पहुँच में रखते हुए बनाना चाहते हैं, जो हमारी संस्कृति को भी प्रदर्शित करे।
इसके लिए राज्य सरकार भी ट्रस्ट की सहायता करेगी। सरकार के साथ इस निर्माण कार्य का प्रस्ताव भी शेयर किया गया है। कर्नाटक के संस्कृति मंत्री सीटी रवि ने बताया कि सरकार ने इस सम्बन्ध में रिपोर्ट माँगी है। किष्किंधा को ‘रामायण सर्किट’ से जोड़ कर इसे बड़े धार्मिक स्थल के रूप में पहचान देने की भी तैयारी चल रही है। किष्किंधा के अलावा गोकर्ण का महाबलेश्वर मंदिर और चिक्कमंगलुरु का चंद्रद्रोण पर्वत रेंज भी है।
जिस दिन भगवान राम के नाम पर ट्रस्ट का ऐलान हुआ, उसी दिन भगवान हनुमान के नाम पर भी ट्रस्ट रजिस्टर कराया गया था। राम जन्मभूमि के शिलान्यास के दिन किष्किंधा से पाँच धातुओं से निर्मित प्रतिमाएँ भी वहाँ भेजी गई थी, जो 140 किलो की थी। अंजनाद्रि पर्वत के पत्थरों का भी इस्तेमाल राम मंदिर में किया जाना है। साथ ही ट्रस्ट कर्नाटक की सरकार से 10 एकड़ जमीन भी खरीदने की कोशिश में लगा हुआ है।
A 215-meter tall statue of Lord Hanuman will be installed in Pampapur Kishkindha, Karnataka. The project will cost Rs 1,200 crores: Swami Govind Anand Saraswati, president of Hanumad Janmabhoomi Teerth Kheshtra Trust, in Ayodhya (16.11.2020) pic.twitter.com/lJ0KlyQlau
— ANI UP (@ANINewsUP) November 17, 2020
जहाँ तक दुनिया के सबसे लम्बे प्रतिमाओं की बात है, गुजरात के केवड़िया में स्थित सरदार पटेल की 182 मीटर की ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ पहले नंबर पर है। इसके बाद चीन के ‘स्प्रिंग टेम्पल ऑफ बुद्धा’ का स्थान आता है, जो 128 मीटर का है। चीन, जापान, म्यांमार और थाईलैंड में स्थित बुद्ध की कई मूर्तियाँ दुनिया की सामबे ऊँची मूर्तियों की श्रेणी में आते हैं। भगवान हनुमान और श्रीराम की नई मूर्तियाँ उन सबसे काफी ऊँची होंगी।
बता दें कि अयोध्या में भगवान राम की भव्य मूर्ति लगाने और पर्यटन विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 447 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दी है। यह मूर्ति गुजरात में स्थापित सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की तर्ज पर बनेगी। भगवान राम की यह मूर्ति विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति होगी। अयोध्या को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक पर्यटन केन्द्र के तौर पर स्थापित करने की कवायद के तहत उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।