बरखा दत्ता कभी भारत सरकार के कैबिनेट में बर्थ मैनेज कर लेती थीं। लेकिन, अबकी बार वह अपने शो के गेस्ट को ही ‘मैनेज’ नहीं कर पाईं। यूँ तो प्रोपेगेंडा पत्रकारिता का उनका पूरा करियर ही फिक्स खबरों पर खड़ा रहा है, लेकिन इस बार वे अपने जाल में ऐसी उलझीं कि इंटरव्यू के दौरान ही बार-बार उनके चेहरे पर एक्टर दीप सिद्धू को चमकाने का ठेका लेने का अफसोस बार-बार झलक रहा था।
किसान आंदोलन के बीच विवादास्पद पत्रकार और यूट्यूबर बरखा दत्त ने खालिस्तान से सहानुभूति रखने वाले अभिनेता और कथितरूप से अपने आप को पीड़ित किसान बताने वाले दीप सिद्धू को मंच प्रदान किया। बता दें दीप सिद्धू का एक वीडियो पिछले दिनों वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें अधिकारियों को धमकी देते हुए देखा गया था। वीडियो में उन्होंने कहा था कि किसान प्रदर्शन केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के भू-राजनीति का निर्णायक क्षण होगा।
बरखा दत्त के यूट्यूब चैनल ‘मोजो स्टोरी’ पर प्रसारित इंटरव्यू में सिद्धू ने कुछ ऐसी चौंकाने वाली प्रतिक्रियाएँ दीं, जिसके बारे में बरखा ने सोचा भी नहीं था। बीजेपी के सनी देओल के चुनाव प्रचार से लेकर जरनैल सिंह भिंडरावाले को एक मजबूत फेडरल स्ट्रक्चर के लिए लड़ने वाले सेनानी के रूप में प्रचारित करने तक सिद्धू ने कई ऐसे कई दावे किए जो किसानों के विरोध की वैधता को कम करके आंकते हैं। साथ ही उन्होंने लेफ्ट लिबरल मीडिया द्वारा प्रदर्शन को लेकर प्रचारित किए जा रहे प्रोपेगेंडा को भी धाराशाही कर दिया।
सिद्धू ने साक्षात्कार की शुरुआत में स्पष्ट रूप से बताया कि सितंबर 2020 में किसानों के विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत के बाद हिंसा की एक भी घटना नहीं घटित हुई। हालाँकि ऐसा कई बार हुआ है जब किसान का विरोध हिंसक हो गया और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अधिकारियों को कई बार बल प्रयोग करने के लिए मजबूर किया गया।
वहीं जब बरखा दत्त ने इंटरव्यू के दौरान प्रदर्शन के बारे सिद्धू से पूछा तो पंजाबी अभिनेता ने बेबाकी से इसे देश में कथित रूप से बढ़ती व्यापकता को दर्शाने वाला प्रदर्शन बताया।
इंटरव्यू में जब उनसे किसी राजनीतिक दल से जुड़े होने की बात पूछी गई तो सिद्धू ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनका किसी राजनीतिक दल के साथ कोई संबंध है, लेकिन फिर भाजपा के सनी देओल से जुड़े होने की बात स्वीकार करते हुए उन्होंने तुरंत अपनी बात वापस ले ली।
सिद्धू ने कहा, “मैं किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं हूँ। केवल एक चीज में मैं शामिल था, वह थी गुरदासपुर सीट से भाजपा के मिस्टर देओल (सनी देओल) का राजनीतिक प्रचार, क्योंकि मैं उनके बहुत करीब हूँ और उस दौरान मैं भाजपा के कैंपेन का एक हिस्सा था।”
वहीं सरकार पर ऊँगली उठाते हुए सिद्धू ने आरोप लगाया कि वे जान-बूझकर कर इस प्रदर्शन में हिंसा फैलाने का काम कर रहे है। अभिनेता ने यह भी कहा कि सुरक्षा अधिकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति के साथ बर्बरता की थी।
वहीं बरखा दत्त ने ऑपइंडिया का जिक्र करते हुए सिद्धू को उन खबरों के बारे में बताया, जिसमें अभिनेता के खालिस्तान समर्थक होने का दावा किया गया था। हालाँकि विवादास्पद पत्रकार जिस प्रकार का जवाब चाहती थी, वैसा जवाब नहीं मिलने पर उन्हें काफी निराशा हुई। बरखा दत्त के प्रोपेगेंडा के तहत जवाब देने की बजाय पंजाबी अभिनेता ने निजीकरण की बुराइयों पर जोर दिया।
इसके बाद सिद्धू ने जरनैल सिंह भिंडरावाले को एक क्रांतिकारी बताया। इंटरव्यू के दौरान वे भिंडरवाले को आतंकी मानने से इनकार करते रहे। उन्होंने कहा जरनैल सिंह भिंडरावाले ने एक मजबूत फेडरल स्ट्रक्चर के लिए संघर्ष किया था, लेकिन उसके खिलाफ यह नैरेटिव गढ़ा गया कि वह आतंकी है।
वहीं जब इस बात पर बरखा ने सिद्धू को रोका और यह याद दिलाया कि जरनैल सिंह भिंडरावाले आतंकवादी थे, तब सिद्धू ने भिंडरावाले का बचाव करते हुए कहा कि राज्य में उसके खिलाफ नैरेटिव गढ़ा गया कि वह टेररिस्ट है।
सिद्धू ने कहा, “आपको समझने की जरूरत है। आप किताबें पढ़ सकते हैं। 1970 के दशक में राज्य ने नैरेटिव को आकार देने के लिए पावर का इस्तेमाल किया। भिंडरावाले को एक आतंकवादी के रूप में गलत तरीके से पेश किया गया था और उसके खिलाफ पूरी कहानी बनाई गई थी।”
गौरतलब है कि सिद्धू के इस बयान ने बरखा दत्त को हैरानी में डाल दिया। जिस पर बाद में दत्त किसान के प्रदर्शन का सहारा लेते हुए पर्दा डालती नजर आई।
सिद्धू के बयान पर एक गहरी निराशा व्यक्त करते हुए बरखा ने कहा, “मैं यह सोचकर साक्षात्कार करने आई थी कि आप अपने जुनून और दिल से बोल रहे हैं। मैं आपको एक उचित मौका देना चाहती थी, क्योंकि मैं असत्यापित स्रोतों पर विश्वास नहीं करना चाहती थी। मुझे उम्मीद थी कि आप उन रिपोर्ट्स के खिलाफ होंगे जिन्होंने दावा किया था कि आप खालिस्तानी समर्थक हैं। लेकिन यहाँ आप जरनैल सिंह भिंडरावाले का बचाव कर रहे हैं और यह भी कह रहे कि वह आतंकवादी नहीं था।”
उल्लेखनीय है कि बरखा दत्त के कड़े विरोध के बावजूद सिद्धू अपने बयान से पीछे नहीं हेट। बरखा ने यह भी याद दिलाया कि इन्ही लोगों ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था। लेकिन तब भी सिद्धू अपने रुख पर कायम रहे और बरखा की इस बात को खारिज कर दिया कि आतंकवादियों ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था।
अपनी बात रखते हुए सिद्धू ने यह भी कहा कि पंजाब में रहने वाले 80-90 प्रतिशत लोग भिंडरावाले और स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने वालों को आतंकवादी नहीं मानते हैं। दीप की बातों से नाराज बरखा ने कहा, “मैंने सोचा था कि आप यह कहकर 30 सेकंड खर्च करेंगे कि यह सच नहीं है। मैं जरनैल सिंह भिंडरावाले की निंदा करती हूँ। वह एक आतंकवादी है। उसने पूजा के पवित्र स्थान पर कब्जा किया।”
बरखा ने व्यथित होकर कहा, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा है, हम 2 मिनट भिंडरावाले आतंकवादी थे या नहीं, इस पर चर्चा कर रहे हैं।” हालाँकि इतना बोलने के बावजूद पंजाबी अभिनेता ने अपनी जमीन को नहीं छेड़ा और धैर्य से बरखा को बताया कि वह पंजाब की संस्कृति से अनभिज्ञ हैं और उन्होंने दिल्ली के एक स्टूडियो में बैठे-बैठे अपनी राय बनाई है।
बता दें अपने आप को वीडियो में पीड़ित किसान बताने वाला दीप सिद्धू एक खालिस्तानी समर्थक है। सिद्धू ने समय-समय पर खालिस्तान समर्थक समूहों की आतंकवादी गतिविधियों का बचाव किया है।
कुछ हफ़्ते पहले ही दीप सिद्धू ने खालिस्तान समर्थक नारे लगाने वाले का विरोध करने वाले वकील को निष्कासित कर दिया था। दरअसल एक पंजाबी युवक द्वारा मोर्चा में खालिस्तानी नारे लगाने के बाद वकील ने कड़ा विरोध किया था। वकील तुरंत पास में तैनात पुलिसकर्मियों के पास जाकर उसे गिरफ्तार करने को कहा। साथ ही उसके खिलाफ शिकायतकर्ता बनने की पेशकश की थी।