दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़कर राकेश टिकैत के ‘किसान नेता’ बनने की कहानी से हम आपको पहले ही अवगत करा चुके हैं। यह भी बता चुके है कि पिता महेंद्र सिंह टिकैत जिन सुधारों के लिए लड़े थे, राकेश टिकैत आज उसका ही विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं नए कृषि कानूनों का शुरुआत में स्वागत करने के बाद वे पलट भी चुके हैं।
अब भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत की प्रॉपर्टी को लेकर डीएनए की एक रिपोर्ट से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जहॉं देश के किसानों की औसत मासिक आय 6400 रुपए है, वहीं उनके कथित नेता की प्रॉपर्टी देश के 4 राज्यों में फैली हुई है।
तमाम शोध रिपोर्ट्स में बताते हैं कि देश के 100 में से 52 किसानों पर औसतन 1,40,000 रुपए का क़र्ज़ है। 2019 में लगभग 10,000 किसानों ने आत्महत्या की थी। लगभग 76 फ़ीसदी किसान इस क्षेत्र को छोड़ना चाहते हैं। सिर्फ 1 फ़ीसदी युवा कृषि क्षेत्र में अपना भविष्य देखते हैं। लेकिन राकेश टिकैत की सम्पति से जुड़े आँकड़े अलग ही कहानी कहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक राकेश टिकैत की सम्पत्ति कुल 4 राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और महाराष्ट्र में हैं। इन राज्यों के कुल 13 शहरों में उनकी सम्पत्तियाँ मौजूद हैं। इन शहरों में मुज़फ़्फरनगर, ललितपुर, झांसी, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, बदायूं, दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, देहरादून, रुड़की, हरिद्वार और मुंबई शामिल हैं। इन सम्पत्तियों की कुल कीमत 80 करोड़ आँकी गई है। जिस वक्त राकेश टिकैत दिल्ली के बॉर्डर पर बैठ कर किसानों के प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं, उस दौरान भी उनका धंधा पूरी रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है। उनके पास ज़मीन, पेट्रोल पम्प, शोरूम, ईंट भट्टा जैसी तमाम चीज़ें हैं।
राकेश टिकैत ‘किसान नेता’ बनने के पहले दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल थे। 51 वर्षीय टिकैत का विवाह 1985 में सुनीता देवी से हुआ था। इनके बेटे का नाम चरण सिंह और बेटियों का नाम सीमा और ज्योति है। दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है। छोटी बेटी ऑस्ट्रेलिया में रहती है। 8 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में ‘किसान’ आंदोलन के समर्थन में रैली निकाली गई थी और ज्योति टिकैत ने उसमें हिस्सा लिया था।
कुछ रिपोर्ट्स में यहाँ तक दावा किया जाता है कि राकेश टिकैत के पास हिरण भी है, जो कि गैरकानूनी है। नियमों के मुताबिक़ हिरण समेत अन्य वन्य जीवों को पकड़ना या उन्हें अपने पास रखना दंडनीय अपराध है। इसके लिए 7 साल तक की जेल और 25,000 रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकता है।