राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत गुरुवार (25 फरवरी 2021) को ‘अखंड भारत’ के विषय पर विचार रखते हुए नज़र आए। उन्होंने कहा भारत ने पाकिस्तान जैसे देशों की कमर तोड़ दी है, अब ऐसे देश चिंता में ही रहते हैं। सिर्फ हिन्दू धर्म की मदद से ‘अखंड भारत’ सम्भव है, कोई चेहरा इसकी संकल्पना पूरी नहीं कर सकता है। इस ब्रह्माण्ड के कल्याण के लिए ‘यशस्वी अखंड भारत’ का निर्माण करने की ज़रूरत है। इसलिए लोगों को अपने भीतर के राष्ट्र प्रेम को भी जगाना पड़ेगा, संगठित होना पड़ेगा।
एक पुस्तक विमोचन के मौके पर अपने विचार रखते हुए संघ प्रमुख ने कहा, “बहुत से लोगों ने इस बारे में संदेह जताया था था कि क्या देश को विभाजित किया जा सकता है, लेकिन ऐसा हुआ। अगर देश के विभाजन के 6 महीने पहले इस बारे में पूछा होता तब शायद ही किसी को इसका अनुमान होता। लोग जवाहर लाल नेहरू से पूछ रहे थे कि पाकिस्तान के निर्माण का नया मुद्दा सामने आ रहा है। जब उनसे पूछा गया कि ये सब क्या है? तब नेहरू ने जवाब में कहा, विभाजन मूर्खों का सपना है।”
इसके बाद मोहन भागवत ने कहा, “लार्ड वावेल (lord wavell) ने भी ब्रिटिश संसद में कहा था कि ईश्वर ने भारत को एक बनाया है। ऐसे में भारत को कौन विभाजित कर सकता है। इन सब के बावजूद भारत विभाजित हुआ, जो सबकी नज़रों में असम्भव था वह भी हुआ। इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि ‘अखंड भारत’ जो सभी को असम्भव लगता था, वह नहीं हो सकता। आने वाले समय में अखंड भारत की ज़रूरत है। भारत से अलग होने वाले क्षेत्र जो वर्तमान में खुद को अलग मानते हैं, उनके लिए भारत से जुड़ना आवश्यकता है। ऐसे कई क्षेत्र जो खुद को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं उनमें अस्थिरता है।”
मोहन भागवत के मुताबिक़ उन अलग क्षेत्रों में असंतोष है। उन क्षेत्रों ने तमाम प्रयास किए लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। उनकी तमाम समस्याओं का एक ही समाधान है और वह ‘अखंड भारत’ है। हम उन्हें साथ जोड़ने की बात कर रहे हैं न कि उन्हें दबाने की। जब हम अखंड भारत की बात करते हैं तब हमारा उद्देश्य शक्ति हासिल करना नहीं होता है। हम सिर्फ ‘सनातन’ धर्म के ज़रिए सभी को संगठित करना चाहते हैं जो कि मानवता का धर्म है। जिसे पूरी दुनिया फ़िलहाल हिन्दू धर्म के नाम से जानती है। गांधार अफगानिस्तान बन गया, क्या वहाँ पर तब से अब तक शांति व्यवस्था बन पाई है। ऐसे ही पाकिस्तान भी बना लेकिन क्या वहाँ पर भी शांति व्यवस्था बन पाई है? वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से सब सम्भव है।