श्री लंका में ईस्टर संडे के मौके पर 21 अप्रैल को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद सरकार ने बुर्के पर बैन लगाने के बाद अब एक और बड़ा कदम उठाया है। श्री लंका सरकार ने कुल 600 विदेशी नागरिकों को देश से निष्कासित कर दिया है। बता दें कि, देश से बाहर निकाले गए इन लोगों में 200 मौलवी भी शामिल हैं। श्री लंका के गृहमंत्री वाजिरा अबेवारदेना ने बताया कि हालाँकि इन मौलवियों ने कानूनी रूप से देश में प्रवेश किया था, लेकिन हमलों के बाद पाया गया कि ये लोग वीजा अवधि के खत्म होने के बाद भी ठहरे हुए थे। इसके लिए इन पर जुर्माना भी लगाया गया था, लेकिन हमले के बाद सुरक्षा कारणों की वजह से इन्हें देश से निष्कासित कर दिया गया।
Sri Lanka expels 200 Islamic clerics after Easter attacks https://t.co/68R3eO6X2n via @TOIWorld pic.twitter.com/bxMbykM93o
— Times of India (@timesofindia) May 5, 2019
गृह मंत्री ने बताया कि देश में मौजूदा स्थिति को देखते हुए वीजा प्रणाली की समीक्षा की गई, जिसमें धार्मिक उपदेशकों यानी मौलवियों आदि के लिए वीजा प्रतिबंधों को और अधिक कड़ा करने का फैसला किया है। अबेवारदेना ने आगे कहा कि पिछले एक दशक से देखा जा रहा है कि देश में धार्मिक संस्थान विदेशी उपदेशकों को तवज्जो दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात से कोई समस्या नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में कुछ धार्मिक संस्थान इस मामले में काफी अधिक संख्या में फैल गए हैं। जिस पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। गृहमंत्री ने कहा कि सरकार इस आशंका में देश की वीजा नीति को खत्म कर रही है कि विदेशी मौलवी आत्मघाती बम विस्फोटों के लिए स्थानीय लोगों को कट्टरपंथी बना सकते हैं।
हालाँकि, गृहमंत्री ने देश से निष्कासित किए गए लोगों की राष्ट्रीयता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन श्री लंका की पुलिस का कहना है कि देश में हुए आत्मघाती हमलों के बाद पाया गया कि बांग्लादेश, भारत, मालदीव और पाकिस्तान से आए कई विदेशी वीजा की अवधि खत्म हो जाने के बाद भी यहाँ ठहरे हुए थे।
गौरतलब है कि, श्रीलंका में बीते 21 अप्रैल को ईस्टर के मौके पर भीषण आतंकी हमले में 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने ली थी, लेकिन श्री लंका की सरकार ने इसमें स्थानीय संगठन का हाथ बताया था। श्रीलंका की पुलिस के मुताबिक, इन हमलों को एक स्थानीय मौलवी के नेतृत्व में अंजाम दिया गया था।
जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका में हुए हमलों के बाद से आपातकाल लागू कर दिया गया है और सैनिकों और पुलिस को लंबे समय तक संदिग्धों को गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए हैं और साथ ही तलाशी भी ली जा रही है।
इससे पहले श्री लंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन ने अपनी आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए बुर्का या नकाब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। यह फैसला भी आत्मघाती हमलों के बाद सुरक्षात्मक कदम के तौर पर उठाया गया था। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। किसी को भी चेहरा इस तरह से नहीं ढकना चाहिए कि उसकी पहचान मुश्किल हो।