छत्तीसगढ़ में क़ानून व्यवस्था का हाल काफ़ी बुरा होता जा रहा है। यहाँ नक्सलियों ने कई गाँवों में पुरुषों के गाँव से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी है। दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, नक्सलियों के आधार इलाके में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव और सरकार की आत्मसमर्पण नीति से बौखलाए माओवादी संगठन ने इस तरह की हरकत का सहारा लिया है। महिलाओं को तो आसपास बाज़ार या किराना दुकानों तक जाने की छूट दी गई है लेकिन पुरुषों को जिला मुख्यालय जाने से पहले नक्सलियों की अनुमति लेनी होगी। ये घटना राज्य के अबूझमाड़ इलाके की है। रिपोर्ट के अनुसार, गाँव के 31 परिवारों को नक्सलियों ने भगा दिया है और वे सभी जिला मुख्यालय में शरण लिए हुए हैं। नक्सली पूरी तरह मनमानी पर उतर आए हैं।
जिन लोगों को नक्सलियों ने भगा दिया है, उन्होंने फरमान की अनदेखी की थी। नक्सलियों ने ये क़दम इसीलिए उठाया है क्योंकि उन्हें शक है कि पुरुष मुखबिरी करते हैं और पुलिस को उनकी सूचनाएँ दे देते हैं। मेटानार पंचायत के उपसरपंच लालूराम मंडावी ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि क्षेत्र का माहौल बहुत गर्म हो चुका है। गाँव में आपसी मतभेद के कारण ग्रामीण नक्सलियों तक अपने प्रतिद्वंदियों के बारे में ग़लत ख़बर भेज रहे हैं और लोग एक-एक कर मारे जा रहे हैं। जिनकी भी सूचना नक्सलियों तक पहुँच रही है, उन्हे सजा दी जा रही है।
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— NaiDunia (@Nai_Dunia) May 4, 2019
नक्सली लोगों की बेरहमी से हत्या कर रहे हैं। माड़ के एक दर्जन से भी अधिक गाँवों से नक्सलियों द्वारा इस तरह की बंदिशें लगाने की सूचनाएँ आ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस गाँव में आकर लोगों से बातें या पूछताछ करती है और जब नक्सली किसी ग्रामीण को पुलिस के साथ बातचीत करते हुए देख लेते हैं तो उनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता है। नक्सली अपने ख़िलाफ़ चलाए जा रहे ऑपरेशन से बौखलाए हुए हैं। उनकी संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। उनका कुनबा छोटा होता जा रहा है। इसीलिए उन्होंने यह तरीका अपनाया है। उन्होंने गाँवों से जिला मुख्यालय तक जाने वाली सड़कों को रोक कर अपनी ताक़त दिखाई है।
छत्तीसगढ़ में कॉन्ग्रेस का शासन है और भूपेश बघेल को दिसंबर 2018 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों से रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। पिछले वर्ष हुए चुनाव में कॉन्ग्रेस ने यहाँ बड़ी जीत दर्ज की। फिलहाल नक्सलियों द्वारा इस तरह की हरकत के बाद राज्य का सियासी पारा फिर से चढ़ने की उम्मीद है।