इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सोमवार (मई 7, 2019) को तलाक के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने बताया है कि विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत शादी के 1 साल बाद ही आपसी सहमति से तलाक लिया जा सकता है।
प्रयागराज के अर्पित गर्ग और आयुषी की तलाक अर्जी को खारिज़ करते हुए जस्टिस एसके गुप्ता और जस्टिस पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। दंपत्ति की तलाक अर्जी परिवार न्यायाधीश द्वारा पहले ही खारिज़ की जा चुकी थी। इसके ख़िलाफ़ ही हाइकोर्ट में अपील दाख़िल हुई थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह एक वैधानिक व्यवस्था है इसलिए तलाक के लिए एक साल की अवधि का बीतना बाध्यकारी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता। विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत शादी के एक साल के बाद ही सहमति से तलाक हो सकता है।#Allahabad #highcourt #TripleThreat #TripleTalaq #talaqhttps://t.co/hBw7jfZUYR
— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) May 7, 2019
बता दें आयुषी और अर्पित नामक दंपत्ति की शादी 9 जुलाई 2018 को हुई थी। 12 अक्टूबर 2018 से वह दोनों अलग-अलग रहने लगे और 20 दिसंबर को आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल किया गया था। परिवार न्यायालय ने तलाक के मुकदमे के लिए एक साल की अवधि से पहले दाखिल मामले को समय से पहले मानते हुए वापस कर दिया था। परिवार न्यायालय के इसी फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
अपील करने वाले ने दलील देते हुए कहा था कि दोनों (आयुषी और अर्पित) का एक साथ रहना संभव नहीं है।दोनों अलग रहना चाहते हैं और तलाक के लिए भी राजी हैं। इसलिए उनकी अपील थी कि इस वैधानिक अड़चन को दूर किया जाए।