पेटा के साथ जारी विवाद के बीच भारतीय डेयरी अमूल ने मंगलवार (1 जून को 2021) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पेटा पर कार्रवाई की माँग की। अमूल के वॉइस प्रेसीडेंट वलमजी हंबल (Valamji Humbal) ने पेटा पर लोगों की आजीविका के साधन को बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए उस पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया। हंबल ने यह भी कहा कि पेटा की हरकतों से भारतीय डेयरी क्षेत्र की छवि खराब हो रही है।
जीडीपी में डेयरी उद्योग का बड़ा योगदान
एक प्रेस रिलीज में हंबल ने जोर देते हुए कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में डेयरी क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है और ऐसे एनजीओ की गलत सूचनाओं से जीडीपी पर उल्टा असर हो सकता है। उन्होंने भारत के दुग्ध उद्योग के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया है। गुजरात के दुग्ध उत्पादकों का हवाला देते हुए, हंबल ने डेयरी उद्योग की छवि को खराब करने की साजिश करने वालों पर प्रतिबंध लगाने की माँग की।
हंबल ने कहा, “भारत के सकल घरेलू उत्पाद में डेयरी क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन इस गैर सरकारी संगठन जैसे अवसरवादी तत्वों द्वारा फैलाई गई गलत सूचना से जीडीपी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस तरह के संगठन भारत के दूध उत्पादकों को बेरोजगार करने की साजिश का हिस्सा हैं। ”
उन्होंने आगे कहा, “गुजरात के दूध उत्पादक प्रधान मंत्री से ये अनुरोध कर रहे हैं कि वे उन संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू करें, जो गलत और भ्रामक सूचना अभियानों के जरिए डेयरी क्षेत्र की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। ये संगठन सिंथेटिक दूध का उत्पादन करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के संयंत्रों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।”
हंबल ने पशुओं के खिलाफ हिंसा की अफवाहों को खारिज करते हुए दावा किया कि भारत में लोग दुधारू पशुओं को परिवार के सदस्य के रूप में पालते हैं। उन्होंने पेटा की माँग को भारतीय डेयरी उद्योग को खत्म करने की कोशिश बताया और कहा कि ये उद्योग देश को दुग्ध और उससे बनने वाले उत्पादों के आयात से बचाता है। हंबल ने पेटा के इस कदम को विदेशी कंपनियों की साजिश बताया है।
उन्होंने आगे कहा, “भारतीय संस्कृति पशुधन को अपने परिवार का सदस्य मानती है। देश के 10 करोड़ बेरोजगार लोग इसी व्यवसाय पर निर्भर हैं।”
पेटा इंडिया ने अमूल से वीगन दूध का उत्पान बढ़ाने को कहा
पेटा ने अमूल से वीगन (गैर-जानवर उत्पाद) दूध के उत्पादन पर जोर देने को कहा था। इसी को लेकर दोनों आमने-सामने आ गए हैं। गैर-लाभकारी संगठन (पेटा) ने अमूल को फलते-फूलते वीगन फूड और दूध के बाजार से लाभ उठाने की अपील की थी। पेटा ने दावा किया कि संयंत्र आधारित उत्पादों की माँग बढ़ रही है।
पेटा के इस सुझाव पर पलटवार करते हुए अमूल ने कहा कि वो चाहता है कि हम अपने 10 करोड़ गरीब किसानों की आजीविका छीन लें। अमूल ने कहा कि पेटा चाहता है कि हम 75 सालों में अपने किसानों के साथ मिलकर बनाए गए अपनी सभी संसाधनों को छोड़कर किसी बड़ी मल्टी नेशनल कंपनी द्वारा जेनिटकली मोडिफाई सोया उत्पादों को अपना लें। अमूल ने पेटा के इस सुझाव को खारिज करते हुए कड़ी आपत्ति जताई और अब पीएम से ऐसी संस्थाओं पर बैन लगाने की माँग की है।