देश भर में आज (21 जुलाई) ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई जा रही है। ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है। खासकर, केरल जैसे राज्य में जहाँ अन्य राज्यों की अपेक्षा कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा के राज्य में एक बार फिर से लगभग 17,000 नए कोविड-19 के मामले दर्ज किए गए हैं। यहाँ अगले दो दिनों में कोरोना के मामले और बढ़ सकते हैं, क्योंकि केरल में लॉकडाउन में ढील दी गई है।
साल 2020 में देश में कोरोना महामारी आने के बाद से महाराष्ट्र के साथ-साथ केरल सबसे बड़े कोरोना प्रभावित राज्यों में से एक रहा है। इस समय देश भर में केरल ही एक ऐसा राज्य है, जहाँ सबसे अधिक कोविड-19 के नए मामले सामने आ रहे हैं। भारत कोरोना की दूसरी लहर से लड़ रहा है। मोदी सरकार इससे निपटने के लिए युद्ध स्तर पर कई प्रयास कर रही है, लेकिन केरल सरकार के मनमाने रवैये के कारण संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
केरल में बढ़ते कोरोना संक्रमण से निपटने में असमर्थ होने के बावूजद पिनराई विजयन सरकार ने मुस्लिम समुदाय को बकरीद का जश्न मनाने की इजाजत दी। उन्होंने तीन दिनों 18 जुलाई से 21 जुलाई के लिए लॉकडाउन हटा दिया। केरल सरकार ने 17 जुलाई को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बकरीद के लिए छूट देने की घोषणा की थी।
दिलचस्प बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में काँवड़ यात्रा जैसे हिंदू धार्मिक आयोजनों के खिलाफ फैसला सुनाया, जबकि यूपी उन सफल राज्यों में से एक है, जिसने कोरोना महामारी से निपटने में सफलता हासिल की है। ऐसे में केरल सरकार को इस तरह की कार्रवाई का निर्देश क्यों नहीं दिया गया? सुप्रीम कोर्ट ने केरल में धार्मिक अनुष्ठानों, त्योहारों पर प्रतिबंध लगाने का कोई सख्त आदेश नहीं दिया, जबकि इस राज्य में कोरोना के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए थे।
बकरीद के मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 प्रतिबंधों में तीन दिन की छूट की अनुमति देने के लिए केरल सरकार को फटकार लगाई। ढील के अंतिम दिन कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार ने बकरीद पर पाबंदियों में इस तरह की छूट देकर देश के नागरिकों के लिए राष्ट्रव्यापी महामारी के जोखिम को बढ़ा दिया है। ऐसे में बकरीद से राज्य में कोरोना संक्रमण फैल चुका है, क्योंकि केरल में ईद के जश्न के दौरान कोरोना के रिकॉर्ड नए मामले सामने आए हैं।
बकरीद पर छूट, केरल में एक सुपर-स्प्रेडर इवेंट
ईद उल-अजहा से पहले राज्य में कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील देने के कारण केरल अब महामारी की एक और लहर का सामना कर रहा है, क्योंकि पिछले सप्ताह की तुलना में संक्रमण बढ़ गया है। बकरीद से पहले प्रतिबंध हटाने के कारण केरल ने दो महीने के औसत आँकड़े को पार करते हुए सबसे अधिक ताजा मामले दर्ज किए हैं।
केरल में मंगलवार (20 जुलाई) को कोरोना के 16,848 नए मामले सामने आए। जिसके बाद देश में 2.27% टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (टीपीआर) के कई हफ्तों तक 10 प्रतिशत के आसपास रहने के बाद अब टीपीआर 12 प्रतिशत हो गई है। केरल में अब देश भर में नए कोरोना मामलों का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने पिछले 24 घंटों में 42,015 नए मामले दर्ज किए, वहीं 36,977 मरीज ठीक हुए हैं।
इसी तरह रविवार (18 जुलाई) को केरल में कोरोना के 13,956 नए मामले दर्ज किए थे। अगले दिन यानी सोमवार (19 जुलाई) को 9,931 मामले दर्ज किए थे। राज्य में कोविड-19 मामलों की कुल संख्या अब 31,87,716 है, जो महाराष्ट्र के बाद देश में दूसरे स्थान पर है।
बकरीद मनाने वाले मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बड़ी संख्या में नए मामले सामने आए हैं। 2,752 मामलों के साथ मलप्पुरम में सबसे अधिक मामले हैं, इसके बाद त्रिशूर में 1,929 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा एर्नाकुलम में 1,901, कोझीकोड में 1,689, कोल्लम में 1,556, पलक्कड़ में 1,237, कोट्टायम में 1,101 और तिरुवनंतपुरम में 1,055 के साथ कुल 1,000 से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं।
केरल में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार का कुप्रबंधन बेहद चिंताजनक है। अन्य राज्यों में पहले के मुकाबले अब कोरोना के मामलों में कमी आई है। वहीं, केरल में अभी भी 1,26,396 से अधिक सक्रिय मामले हैं।
बीते तीन दिनों में प्रतिबंधों में ढील के बाद केरल में कोरोना वायरस के कारण 200 से अधिक लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। मंगलवार को केरल में कोरोना से 104 मौतें हुईं, जिससे राज्य में महामारी से मरने वालों का आँकड़ा बढ़कर 15,512 हो गया है।
केरल में लगातार कोरोना के नए मामले बढ़ रहे हैं। खासकर डेल्टा-वेरिएंट के। कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे पड़ोसी राज्यों को भी महामारी की तीसरी लहर से खतरा है।