केंद्र की मोदी सरकार की इस घोषणा के बाद कि भारत का सबसे बड़ा खेल सम्मान- राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार अब “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न” पुरस्कार के नाम से जाना जाएगा, कर्नाटक के नागरहोल में स्थित राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान का नाम भी बदलने की माँग तेज हो गई है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कोडागु जिले के निवासी विनय कयापंडा ने शुक्रवार को Change.org पर एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है, जिसमें माँग की गई है कि नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान का नाम कोडंडेरा मडप्पा करियप्पा (Kodandera Madappa Cariappa) के नाम पर रखा जाए, जो भारतीय सेना में पहले कमांडर-इन-चीफ थे। बता दें कि कोडागु के मूल निवासी करियप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 को मदिकेरी, कोडागु में हुआ था और उनका तीन दशकों का विशिष्ट सैन्य करियर था।
ऑनलाइन याचिका अब तक 7,500 के लक्ष्य में से 5,200 से अधिक हस्ताक्षरों को पार कर चुकी है। याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को टैग किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि नागरहोल राष्ट्रीय आरक्षित वन का नाम पूर्व पीएम राजीव गाँधी के नाम पर केवल एक विशेष राजनीतिक परिवार और पार्टी को खुश करने के लिए रखा गया था और इसलिए कर्नाटक मूल के जनरल कोडंडेरा मडप्पा करियप्पा के नाम पर राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलने की माँग की गई और यदि यह न हो तो कम से कम इसका पिछला नाम ही बहाल कर दिया जाए। बता दें कि 1988 में राजीव गाँधी के शासन के दौरान इसका नाम रखने से पहले पार्क को नागरहोल नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था।
कोडागु के कई अन्य गणमान्य लोगों ने भी नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलने के अभियान को अपना समर्थन दिया है। कुर्ग वाइल्डलाइफ सोसाइटी के कर्नल सीपी मुत्तन्ना (सेवानिवृत्त) ने कहा, “हमने इसे कभी राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान कहा ही नहीं। हर कोई इसे नागरहोल ही कह रहा है। अचानक, एक दिन, हमने देखा कि बोर्ड और उस पर सरकार के आदेश से नाम बदल दिया गया है।”
यह याचिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक आश्चर्यजनक निर्णय में हॉकी के दिग्गज मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद आई है। गौरतलब है कि खेल रत्न पुरस्कार भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान है। अब तक इसका नाम कॉन्ग्रेस नेता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के नाम पर रखा गया था।
बता दें कि मेजर ध्यानचंद देश की महान खेल हस्तियों में से एक हैं जिन्होंने 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया और हॉकी में देश का ओलंपिक पदक सुनिश्चित किया।
एक राजनेता के बजाय एक खेल के दिग्गज के नाम पर पुरस्कार का नाम रखने के लिए लोगों द्वारा लम्बे समय से माँग की जा रही थी। आखिरकार राजीव गाँधी को उनके खेल कौशल के लिए तो नहीं जाना जाता था।