Friday, October 18, 2024
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मनजिंदर सिंह सिरसा हुए भाजपा में शामिल: पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले शिरोमणि अकाली दल को लगा बड़ा झटका

दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निकाय के निदेशक नरिंदर सिंह ने 30 नवंबर को सिरसा को डीएसजीएमसी के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया था। उन्होंने कहा था कि सिरसा इस पद के लिए योग्य नहीं था, क्योंकि उन्हें 'गुरुमुखी' पढ़ना और लिखना नहीं आता।

पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले शिरोमणि अकाली दल को बड़ा झटका लगा है। शिरोमणि अकाली दल के नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा बुधवार (1 दिसंबर 2021) को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और धर्मेंद्र प्रधान आदि नेताओं की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए। सिरसा ने भाजपा में शामिल होने के साथ दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन समिति से इस्तीफा दे दिया है।

भाजपा में शामिल होने के बाद सिरसा ने कहा, ”केंद्रीय गृहमंत्री और प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि सिखों के जितने भी मुद्दे हैं वे हल होने चाहिए, लेकिन ये राजनीति के भेंट चढ़े हैं। इसलिए मैं दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुआ हूँ।”

इससे पहले सिरसा ने ट्विटर पर अपना इस्तीफा साझा करते हुए लिखा, “सभी पदाधिकारियों, सदस्यों, कर्मचारियों और मेरे साथ काम करने वाले लोगों का आभार व्यक्त करता हूँ। मैं दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूँ और आगामी DSGMC का चुनाव नहीं लडूँगा। अपने समुदाय, मानवता और राष्ट्र की सेवा करने की मेरी प्रतिबद्धता बनी रहेगी।”

सिरसा ने वीडियो के माध्यम से कहा कि वह निजी कारणों से वे दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति से इस्तीफा दे रहे हैं और इसके अगले चुनाव से वे खुद को दूर रखेंगे। उन्होंने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों, देश और दुनिया के सिखों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उन्हें काफी मान बक्शा है। उन्होंने कहा, “मेरे सदस्यों, शुभचिंतकों को धन्यवाद, जिन्होंने अब तक मेरा समर्थन किया है।”

बता दें कि दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निकाय के निदेशक नरिंदर सिंह ने मंगलवार (30 नवंबर) को मनजिंदर सिंह सिरसा को डीएसजीएमसी के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया था। उन्होंने कहा था कि सिरसा इस पद के लिए योग्य नहीं था, क्योंकि वह ‘गुरुमुखी‘ (पंजाबी लिखने के लिए सिखों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली लिपि) को पढ़ना और लिखना नहीं जानते हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1971 के अनुसार, इस पद के लिए ‘गुरुमुखी’ आना जरूरी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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