Friday, November 8, 2024
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‘जन्नत में मर्दों को 72 हूर… महिलाओं को ‘सरदार’ के साथ शौहर’: मौलाना ने महिला पत्रकार को दिया जवाब, राम मंदिर तोड़ने की भी बात

उन्होंने कहा कि इस्लाम अगर तलवार के जोर से फैलता तो आज हिंदुस्तान-पाकिस्तान में 800 साल के इस्लामी शासन के दौरान एक भी हिन्दू नहीं बचता। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम बादशाहों ने मंदिर बनवाए और मंदिरों को दान दिए।

हिन्दुओं और राम मंदिर के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के लिए कुख्यात ‘ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन’ के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने एक बार फिर से अजीबोगरीब बयान दिया है। उन्होंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) को यहूदी करार दिया। पत्रकार आरज़ू काज़मी ने जब 72 हूर वाले सवाल पर जब उनसे जवाब माँगा तो वो फँस गए। आरज़ू काज़मी ने पूछा कि जन्नत में औरतों के लिए क्या है? उन्होंने पूछा कि वो इस्लाम के सरे नियम-कानून का अनुसरण करती हैं, ऐसे में उन्हें जन्नत में क्या मिलेगा?

इस पर मौलाना साजिद रशीदी ने जवाब दिया कि आप जन्नत में 72 हूरों की सरदार होंगी और आपकी ज़िन्दगी में जो शौहर हैं, जन्नत में भी वही रहेंगे। उन्होंने कहा कि आपके शौहर अच्छे कार्य करते होंगे तो वो भी जन्नत में जाएँगे। उन्होंने कहा कि ये सब अय्याशी नहीं है, बल्कि वहाँ कोई नापाक नहीं होता है और आदमी का मन भी इस तरफ नहीं जाता है। उन्होंने कहा कि जन्नत के लोग यही सोचते हैं कि अल्लाह उन्हें कब दीदार देगा। इस पर पत्रकार ने पूछा कि औरतों के लिए वही शौहर और पुरुषों के लिए 72 हूरें, ये तो नाइंसाफी है?

इस पर मौलाना ने कहा कि जन्नत में मुस्लिमों के लिए चीजें रखने वाले अल्लाह से ये सवाल किया जाना चाहिए। वहीं उन्होंने सऊदी अरब द्वारा हाल में लिए गई कुछ लिबरल फैसलों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि MBS ने जो कारनामे अंजाम दिए हैं, वो दीन और कुरान से हट कर है, नबी की ज़िन्दगी से हट कर है। उन्होंने कहा कि वो ये कहने से डरते नहीं हैं कि मोहम्मद बिन सलमान को अपने वालिद और पूर्व बादशाहों की ज़िंदगी पढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि सऊदी में न तो कभी बुर्के पर पाबंदी हटी और न ही शराबखाने और थिएटर खुले थे।

उन्होंने कहा कि यहूदी दीन-ए-इस्लाम को खत्म करने का ख्वाब यहूदी ही रखते हैं, इसीलिए MBS भी ‘यहूदी की औलाद’ हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि तवायफों को नाचने और मदीना में सिनेमाघर खुलवाने जैसे निर्णय क़यामत की निशानी है और बदनसीब फैसला है। उन्होंने कहा कि मोहम्मद बिन सलमान अय्याशी के लिए एक शहर खुलवा रहे हैं जहाँ इस्लामी कानून नहीं चलेगा और वहाँ कोई भी जा सकता है। उन्होंने अमेरिका के 9/11 हमलों को भी ‘यहूदियों की देन’ बताते हुए कहा कि ईसाईयों और यहूदियों ने इतिहास में काफी पहले से कुरान के नुस्खों को जलाने की कोशिश की, ताकि इस्लाम खत्म हो जाए।

उन्होंने इस दौरान माना कि भारत-पाकिस्तान में अधिकतर मुस्लिम धर्मांतरित हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो पक्के मुस्लिम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये नहीं कहा जा सकता कि माँ-बाप गैर-मुस्लिम हैं तो औलाद मुस्लिम नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि इस्लाम अगर तलवार के जोर से फैलता तो आज हिंदुस्तान-पाकिस्तान में 800 साल के इस्लामी शासन के दौरान एक भी हिन्दू नहीं बचता। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम बादशाहों ने मंदिर बनवाए और मंदिरों को दान दिए।

उन्होंने कहा, “हिंदुस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को लेकर दिए गए फैसले में कहा है कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई। दूसरी बात ये कही कि 1949 में गैर-कानूनी ढंग से चोरी से मस्जिद में मूर्ति रखी गई। तीसरी बात ये कही कि 1992 में बाबरी मस्जिद को ‘शहीद’ करना अवैध था। चौथी बात ये कहा कि इसके दोषियों को सज़ा मिले। सुप्रीम कोर्ट के पास शक्ति है कि सबूतों-गवाहों के खिलाफ वो फैसला दे सकते हैं। इसीलिए, उन्होंने राम मंदिर के पक्ष में फैसला दिया। बावजूद इसके मुस्लिम खामोश रहे, क्योंकि ये सुप्रीम कोर्ट का फैसला है और उनका संविधान में यकीन है।”

इस दौरान उन्होंने अपने एक बयान की भी याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि आज तो ये बात साबित हो गई कि मस्जिद तोड़ कर मंदिर नहीं बनाई गई, लेकिन अब जब मस्जिद तोड़ कर मंदिर बनाई जा रही है तो हमारी आने वाली नस्लें इसे पढ़ कर मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाए। उन्होंने अपने बयान पर कायम रहने का दावा करते हुए कहा कि आगे फिर से कोई मोहम्मद बिन कासिम पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि ये इतिहास पढ़ कर मुस्लिमों का खूब जोश में आ सकता है, ये हो सकता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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