द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने सोमवार को धमकी दी कि पलानिस्वामी की अन्नाद्रमुक सरकार को तमिलनाडु की सत्ता से जल्दी-से-जल्दी हटाने के लिए उनकी पार्टी प्रयासरत है। हालाँकि वह राज्य की विधानसभा में स्पीकर के खिलाफ महज अविश्वास प्रस्ताव की बात कर रहे थे जिस पर 1 जुलाई को बहस होनी है, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि स्पीकर ही नहीं, द्रमुक पूरी सरकार को ही हटा देना चाहता है। “निर्वाचन के बिना भी सत्ता-परिवर्तन सम्भव है और द्रमुक जल्दी ही सत्ता की बागडोर छीन लेगा। स्पीकर से ज्यादा मुख्यमंत्री को हटाना जरूरी है।” स्टालिन तमिलनाडु में पानी के अभूतपूर्व संकट से निपटने में राज्य सरकार की नाकामी के खिलाफ हो रहे भारी विरोध प्रदर्शन को सम्बोधित कर रहे थे।
‘लोकतान्त्रिक नैतिकता’ से यू-टर्न
स्टालिन का यह नया रुख द्रमुक की पहले की स्थिति के ठीक उलट है। पहले द्रमुक की नीति थी कि वह सरकार गिराने के लिए निर्वाचन के अलावा कोई रास्ता नहीं अख्तियार करेगा। यहाँ तक कि लोक सभा निर्वाचन के साथ हुए विधानसभा की सीटों के उप-निर्वाचन में भी स्टालिन ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि द्रमुक सत्ता-परिवर्तन के लिए अनैतिक तरीके नहीं अपनाएगा। लोकसभा में भी तमिलनाडु की 38 सीटों में से 37 पर अपने प्रत्याशियों को जिताने में सफल रहा था।
ऐसे में यह माना जा रहा है द्रमुक के विधानसभा निर्वाचन में जाने से कतराने का कारण विधानसभा उप-निर्वाचन हैं। लोक सभा के लिए उसी जनता द्वारा बुरी तरह नकारे जाने के बाद भी अन्नाद्रमुक 22 में से 9 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को जिताने में कामयाब रहा था। स्टालिन शायद इसे इस रूप में देख रहे हैं कि भले ही तमिल जनता उन्हें राष्ट्रीय फलक पर राज्य के प्रतिनिधित्व के लिए बेहतर माने, लेकिन राज्य पर शासन के लिए अभी वह निर्णायक रूप से अन्नाद्रमुक सरकार से विमुख नहीं हुई है।
‘अविश्वास प्रस्ताव से घबरा गई है सरकार’
स्टालिन का कहना है कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव से घबरा रही है। ऐसे में 28 जून (शुक्रवार) को शुरू हो रहे विधानसभा सत्र पर निगाहें टिक गईं हैं। द्रमुक ने यह अविश्वास प्रस्ताव लोक सभा निर्वाचन के पहले पेश किया था, जब स्पीकर पी धनपाल ने अन्नाद्रमुक के बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। स्टालिन ने मंत्रियों और अन्नाद्रमुक के पदाधिकारियों द्वारा वर्षा के लिए पूजा-पाठ कराए जाने पर भी तंज कसते हुए कहा कि यह बारिश कराने के लिए नहीं बल्कि सत्ता बचाने के लिए हो रहा है।
स्टालिन ने यह भी कहा कि उन्होंने जब इस आसन्न जल-संकट की चेतावनी एक साल पहले दी थी तो अन्नाद्रमुक सरकार ने उनकी बात अनसुनी कर दी थी। “अन्नाद्रमुक के पिछले आठ साल के शासनकाल में एक भी बड़ी पेयजल योजना पूरी नहीं हो पाई है।” 234 सदस्यों की विधानसभा में अन्नाद्रमुक के पास 119 विधायकों का साधारण बहुमत है। इसके अलावा उसके तीन विधायक बागी हैं, और तीन अन्य की निष्ठा संदिग्ध है। वहीं द्रमुक के पास 100 और उसकी गठबंधन की साथी कॉन्ग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के पास 7 सीटें हैं। अन्नाद्रमुक ने स्टालिन के दावे को ‘दिन के ख्वाब’ कह कर खारिज कर दिया है।