बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस बंद किया हुआ है, जिसके कारण पिछले दिनों भारतीय एयरलाइंस के साथ विदेश में रहने वाले भारतीय छात्रों को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन ऐसा नहीं है कि ये नुकसान सिर्फ़ भारतीय छात्रों और भारतीय एयरलाइंस को ही हुआ हो, क्योंकि इस कदम को उठाने से पाकिस्तान को भी करोड़ों की चपत लगी है।
एयरस्पेस बंद करने से पाकिस्तान को भी हुआ करोड़ों का नुकसान, जानें कैसे होती है कमाईhttps://t.co/mGaZgReKPK
— News18 India (@News18India) July 5, 2019
मीडिया खबरों के अनुसार पाकिस्तान को अपना एयरस्पेस बंद करने के कारण फरवरी से अब तक लगभग ₹688 करोड़ का नुकसान हुआ है। पहले से ही आर्थिक कंगाली का सामना कर रहे पाकिस्तान को यह नुकसान कुछ ज़्यादा ही भारी पड़ा है। इस कदम को उठाने से पाकिस्तान की जो कमाई एयरस्पेस से होती थी वो रुक गई है। साथ ही रोजाना करीब 400 विमान पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। पाकिस्तान ने 26 फरवरी को बालाकोट स्ट्राइक के बाद 11 में से केवल 2 एयरस्पेस खोले हुए हैं, जो कि दोनों दक्षिणी पाकिस्तान में आते हैं।
हालाँकि, पाकिस्तान के फैसले से भारत एयरलाइंस को भी काफ़ी नुकसान झेलना पड़ रहा है। खबरों के मुताबिक फरवरी से अब तक एयरलाइंस को ₹549 करोड़ का घाटा हुआ है, जिसमें एयरइंडिया को अकेले ₹491 करोड़ का घाटा झेलना पड़ा है। पहले खबरे थीं पाकिस्तान अपने हवाई क्षेत्र भारत के विमानों की आवाजाही के लिए 28 जून तक बंद रहेगा, लेकिन जुलाई आने के बाद भी अभी इसके खुलने की कोई उम्मीद नहीं नजर आ रही है, जिससे घाटे के आँकड़े में और बढ़ौतरी मुमकिन है।
Pakistan airspace will remain closed for all overflying (transit) flights till 28th June 2019.
— ANI (@ANI) June 16, 2019
एयरस्पेस से किस तरह होती है कमाई?
बता दें किसी भी देश का एयरस्पेस इस्तेमाल करने के लिए एयरलाइंस कंपनियों को उस देश के सिविल एवियेशन एडमिनिस्ट्रेशन को पैसे चुकाने पड़ते हैं। ये रकम इस बात पर निर्भर करती है कि एयरक्राफ्ट किस टाइप का है और उससे कितनी दूरी कवर की जा रही है या फिर एयरक्राफ्ट का वजन कितना है।
अलग-अलग देशों में एयरस्पेस का चार्ज अलग-अलग होता है, जैसे कनाडा में एयरक्राफ्ट के वजन और ट्रैवल की दूरी के आधार पर चार्ज तय किया जाता है जबकि अमेरिका में सिर्फ़ ट्रैवल की दूरी के आधार पर चार्ज लिया जाता है। भारत में यही चार्ज ओवरलिफ्ट और लैंडिंग चार्ज डीजीसीए तय करता है, जिसके कारण हमारे देश में स्थानीय उड़ानों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से ज्यादा भुगतान करना पड़ता है।