Monday, November 18, 2024
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देशसेवा कर रहे बेदाग छवि के रतन टाटा को मिले भारत रत्न: दिल्ली HC ने याचिका खारिज कर कहा- ये मेरा काम नहीं, सरकार से कहिए

मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को भारत रत्न (देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान) देने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का काम अदालत का नहीं है।

टाटा समूह (TATA Group) के पूर्व चेयरमैन एवं उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) को ‘भारत रत्न’ से सम्मान सम्मानित करने की माँग वाली याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने गुरुवार (31 मार्च 2022) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या वो इसके लिए फैसला लेगा?

मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को भारत रत्न (देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान) देने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का काम अदालत का नहीं है। अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा, “यह किस तरह की याचिका है? क्या यह अदालत (सरकार को भारत रत्न देने का) निर्देश देने के लिए है?”

इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से ‘कम से कम अनुरोध’ करने का आग्रह किया। इस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सांघी ने कहा, “जाइए और सरकार से इसके लिए अनुरोध कीजिए। अदालत के एक्शन लेने का सवाल ही कहाँ है? अगर आप चाहते हैं तो सरकार से अनुरोध कीजिए। हम कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।” कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले में वह कुछ नहीं कर सकता। अदालत के इस रुख को देखकर याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस ले ली।

बेदाग है रतन टाटा का जीवन

उद्योगपति रतन टाटा को भारत रत्न देने की माँग को लेकर याचिका राकेश नाम के व्यक्ति ने दायर की थी। राकेश खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। उनका कहना है कि रतन टाटा ‘भारत रत्न’ के हकदार हैं, क्योंकि वो देश की सेवा कर रहे हैं और उनका जीवन बेदाग है। याचिका में कोरोना के दौरान रतन टाटा के योगदान का भी उल्लेख किया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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