बॉलीवुड के पास उम्दा कहानी न होने के कारण एक के बाद एक फिल्मों की दुर्गति हो रही है। वहीं दक्षिण सिनेमा एक से बढ़कर एक फिल्में बना रहा है। हाल में फिल्म ‘1770’ का मोशन पोस्टर रिलीज किया गया। सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर खासा क्रेज देखा जा रहा है। यह फिल्म बंकिम चंद्र चटर्जी के बांग्ला उपन्यास ‘आनंदमठ’ पर आधारित है। ‘आनंदमठ’ की कथा काल्पनिक नहीं है, बल्कि ये भारत के अब तक हिन्दू बने रहने के संघर्ष की कहानी है। ‘1770’ फिल्म के मोशन पोस्टर पर लिखा है- ‘Celebrating 150 years of Vande Matram!’
इसके बाद से हर कोई ‘आनंदमठ’ के बारे में जानने को इच्छुक है। बंकिम चंद्र चटर्जी का बंगाली उपन्यास ‘आनंदमठ’ 1882 में प्रकाशित हुआ था। उपन्यास में बताया गया है कि हिंदुओं, खासकर संन्यासियों ने कैसे अंग्रेजों से लोहा लिया था। ‘आनंदमठ’ वही है, जिससे आजादी की चिंगारी उठी थी। ‘वंदे मातरम’ गीत से भारतीयों की रगो में खून उबलने लगता था। इसी ने भारतवासियों को विद्रोह करना सिखाया।
Now this Seems To Be like the content… That Indian audiences Appreciating Right Now ❤️❤️…
— Abhilash Chauhan (@abhicha2000) August 17, 2022
Excited For This One..
क्या है संन्यासी विद्रोह
फिल्म ‘1770’, संन्यासी विद्रोह पर आधारित है। संन्यासी विद्रोह बंगाल में हुआ था। यह विद्रोह 1770 में पड़े भीषण अकाल, संन्यासियों पर लगे प्रतिबंध और अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ था। इसमें किसानों, फकीरों और शोषित लोगों ने संन्यासियों का साथ दिया था। संन्यासी विद्रोह भारत की आजादी के लिए बंगाल में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध किया गया एक प्रबल विद्रोह था। यह विद्रोह 1770 में प्रारंभ हुआ और दूसरे दशक 1820 तक चलता रहा।
संन्यासी विद्रोह का मुख्य कारण अंग्रेजों का भारत में तीर्थ यात्रा पर प्रतिबंध लगाना बताया जाता है। इसकी वजह से हिंदुओं, नागा साधुओं और शांत संन्यासियों को विद्रोह करना पड़ा था। किसानों, फकीरों ने भी इस विद्रोह में बढ़-चढकर हिस्सा लिया और संन्यासियों की मदद की। इन संन्यासियों में अधिकतर आदि शंकराचार्य के अनुयायी थे। बंगाल में अंग्रेजों की दमकारी नीतियों और शोषण से वहाँ के जमींदार, फकीर, किसान और शिल्पकार काफी परेशान और आक्रोशित थे।
इन सबने संन्यासियों के साथ मिलकर अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे। संन्यासी और फकीर वहाँ घूम-घूमकर अमीरों और बड़े सरकारी अफसरों के घरों को लूट लेते थे। वे लूटे हुए पैसों से गरीब लोगों की मदद कर दिया करते थे। संन्यासी विद्रोह का नेतृत्व पंडित भबानी चरण पाठक ने किया था।
Failed journo Sagarika tweets “People wearing saffron have never been known to have the stomach to fight British.”
— Rakesh Krishnan Simha (@ByRakeshSimha) July 1, 2019
This is a picture of a group of saffron wearing sanyasis who led a revolt against British. “Sanyasi rebellion” predates Gandhi, Nehru by 150 years.
– By Trueindology pic.twitter.com/RWexyRyxli
सबसे खास बात यह है कि फिल्ममेकर एस एस राजामौली के पिता और मशहूर लेखकों में शुमार वी विजयेंद्र प्रसाद ‘1770’ की स्क्रिप्ट लिख रहे हैं। इससे पहले वह तीन सुपरहिट फिल्मों ‘बाहुबली-द बिगनिंग’, ‘बाहुबली- द कन्क्लूजन’ और आरआरआर का भी स्क्रीनप्ले लिख चुके हैं। यही नहीं उन्होंने जिस भी बॉलीवुड फिल्म की कहानी लिखी है, वह सुपरहिट साबित हुई है। बजरंगी भाईजान, राउडी राठौर, थलाइवी और मणिकर्णिका की कहानी भी वी विजयेंद्र प्रसाद ने ही लिखी है।
‘1770’ को एसएस राजामौली के असिस्टेंट रह चुके अश्विन गंगाराजू डायरेक्ट कर रहे हैं। वह एसएस राजामौली को ‘मक्खी’ और ‘बाहुबली’ जैसी बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में असिस्ट कर चुके हैं। फिल्म की रिलीज से पहले ही इसे सुपरहिट माना जा रहा है। अधिकतर लोग संन्यासी विद्रोह के बारे में नहीं जानते होंगे। ऐसे में भारत के गौरवान्वित इतिहास से जुड़ी फिल्म बनाना काबिल-ए-तारीफ है। इससे देश का हर नौजवान भारतीय इतिहास और संन्यासियों के विद्रोह के बारे में जान सकेगा।