Tuesday, November 19, 2024
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15 साल का समय, ₹7 करोड़ खर्चा और चेन्नई के कारीगर: ओडिशा के गाँव में बना संतोषी माँ का भव्य मंदिर, पति ने पूरी की पत्नी की इच्छा

बैजंती ने कहा है, उनकी इच्छा थी कि गाँव में एक मंदिर बने। इसके लिए उन्होंने अपने पति के सामने इच्छा जाहिर की थी। मंदिर निर्माण के लिए वह अपने पति की आभारी हैं। उन्होंने कहा है कि उनके पति ने उनके सपने को पूरा किया है। वह एक छोटा मंदिर बनाना चाहती थीं। हालाँकि भगवान के आशीर्वाद से अब गाँव में एक भव्य मंदिर बन गया है।

ओडिशा में एक पति द्वारा अपनी पत्नी के लिए एक 7 करोड़ का मंदिर बनवाने का मामला सामने आया है। ये मंदिर संतोषी माता है जिसे बनने में पूरे 15 साल लग गए और खर्चा 7 करोड़ रुपए का आया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मंदिर ओडिशा के जाजपुर जिले के चिकना गाँव में बना है। इस मंदिर के निर्माण की कहानी बेहद दिलचस्प है। दरअसल, मंदिर बनने वाले खेत्रावासी लेनका ने बैजंती से साल 1992 में शादी की थी। शादी के बाद बैजंती ने मंदिर बनवाने को लेकर इच्छा व्यक्त की थी। बैजंती संतोषी माता की भक्त हैं और उन्होंने अपने पति खेत्रावासी से कहा था कि उनकी इच्छा है कि उनके गाँव में ही संतोषी माता का मंदिर हो।

बैजंती की इच्छा के चलते ही खेत्रावासी लेनका ने मंदिर बनवाने की ठान ली। इसके बाद साल 2008 में इस मंदिर की शुरुआत की गई। चूँकि खेत्रावासी एक संपन्न बिजनेसमैन हैं। इसलिए उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी। ऐसे में उन्होंने मंदिर को भव्य बनाने के लिए 7 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।

खेत्रावासी मूल रूप से हैदराबाद से हैं। इसलिए यह मंदिर भी दक्षिण भारतीय शैली में बना है। इसके लिए कारीगर भी चेन्नई से बुलाए गए थे। मंदिर बनने तक कारीगर चिकना गाँव में ही रुके रहे। इस मंदिर के तैयार होने में 15 साल का समय लग गया है। मंदिर में संतोषी माता सहित भगवान भोलेनाथ, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नवग्रह तथा अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई है।

मंदिर बनने का सपना पूरा होने पर बैजंती ने कहा है, उनकी इच्छा थी कि गाँव में एक मंदिर बने। इसके लिए उन्होंने अपने पति के सामने इच्छा जाहिर की थी। मंदिर निर्माण के लिए वह अपने पति की आभारी हैं। उन्होंने कहा है कि उनके पति ने उनके सपने को पूरा किया है। वह एक छोटा मंदिर बनाना चाहती थीं। हालाँकि भगवान के आशीर्वाद से अब गाँव में एक भव्य मंदिर बन गया है। यह मंदिर सिर्फ उनके लिए नहीं है। बल्कि यहाँ गाँव के सभी लोग पूजा-पाठ करते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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